विश्वास नहीं करना इनका~~~* *~~~~ये जुमलेबाजी खेल रहे

 


*~~~विश्वास नहीं करना इनका~~~*

*~~~~ये जुमलेबाजी खेल रहे~~~~*


*उनकी जिद तब न एक चली, जब भीख माँगने जाते थे।*

*जिसने देखा वो ही जाने, कैसे आवाज लगाते थे ?*

जो लोग चाय को बेंच रहे, उनके प्रचार में क्या दम है ?

इतनी थोड़ी सी आमदनी, परिवार ही पूरा बेदम है।

*ये नाम बदल कर खेल रहे, ये काम नहीं कर पाते हैं।*

*तब से अब तक ये ही देखा, हर जगह जुगाड़ लगाते हैं।*

कुछ स्थानों के नाम बदल,  स्टेशन भी कुछ नूर हुये।

इतिहास लिखा इतना झूठा, लिखने वाले लंगूर हुये।

*इस डाली से उस डाली पर, भरपूर छलाँगें मार रहे।*

*अब तो सब ने ही मान लिया, ये सदियों से बीमार रहे।*

सत्ता हथियायी धोखे से, पुस्तक के पाठ बदल डाले।

सबको आफत में डाल दिया, फिर अपने ठाठ बदल डाले।

*जंगल में मंगल नहीं मिला, फिर कई खेल मैदान मिले।*

*देखो केवल कुछ वर्षो में, बदले हर जगह निशान मिले।*

जन्नत में धारा को मोड़ा, मिल गया लाभ धनवानों को।

जो उछल रहे थे हू हू कर, क्या मिल पाया दीवानों को।

*कितने छल और प्रपंच रचे, रोता अपना कश्मीर रहा।*

*फिर नाम बदलने की जिद में, कितनों का सीना चीर रहा।*

कितने परिवार हुये घायल, बिन पेंशन के बरबाद हुये।

वे टाँग उठा कर चले गये, पर फिर भी जिंदाबाद हुये।

*कोई माने या न माने, उनका हर सिक्का खोटा है।*

*प्रत्यक्ष प्रमाणम क्या होगा, जब नौकरियों का टोटा है।*

आफत पैदा करने वाले, मजबूरी रोज गिनाते हैं।

फिर नाम बदल कर देखो ये, अब *यू पी एस* को लाते हैं।

*विश्वास नहीं करना इनका, ये जुमलेबाजी खेल रहे।*

*कानून ताक पर धरा हुआ, अपनी मर्जी का ठेल रहे।*

इनकी अब एक योजना है, सबको नक्सल कर डालेंगे।

नक्सल का मतलब पता नहीं, केवल चमचों को पालेंगे।

*अंग्रेजों के दिन याद करो, ये ही तो हमें सताते थे।*

*चमचागीरी खुद करते थे, पर मुखबिर हमें बताते थे।*

*उनकी जिद तब न एक चली, जब भीख माँगने जाते थे।*

*जिसने देखा वो ही जाने, कैसे आवाज लगाते थे ?*


*मदन लाल अनंग*

द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।

*1-*  वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी  *2300 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।

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मो. न. 9450155040


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