ज्ञात हो कि राष्ट्रीय जाति जन गणना के समय धर्म के कालम में सभी sc,st,.obc के लोग बौद्ध लिखें क्योंकि उनके पूर्खे बौद्ध थे उन्हें १९१९ के बाद जब प्रोड मतदान ( Adult Franchise) की प्रक्रिया ब्रिटिश सरकार द्वारा शुरू की गयी तो भारत के कट्टर ब्राह्मणवादी मदन मोहन मालवीय, डॉ मुंजे, सावर्कर, हेडगेवार, मसुरकर आदि ने सबके उपर ब्राह्मण का वर्चस्व कायम रखने के लिए मुसलमानों का दिया हुआ नाम "हिंदू " के अंदर सबको एक प्लेट फार्म पर लाना शुरू किया और हमारे भोले भाले मूल निवासी जिनके पूर्वज बौद्ध थे,इनके जाल में फंसकर अपने को हिंदू कहने लगे जिन्हे बाबा साहेब ने संविधान मे sc, st, ob का नाम दिया।
अब यही मौका है कि जन गणना के
माध्यम से हम सभी मूल निवासी अपने पुराने बुद्ध धम्म मे वापस बिना
किसी ताम् झाम के लौटें, जो समता, स्वतंत्रता, बंधुता और सबको न्याय पर आधारित है। धर्म के कालम में बौद्ध पेंसिल से नहीं बल्कि खुद या घर के किसी पढ़े लिखे व्यक्ति द्वारा स्याही से लिखें जिससे कोई दूसरा भ्रमवंशी उसे मिटाकर हिंदू न लिख दे।