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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पाकिस्तान में ननकाणा साहिब पर हमले से दुखी हुए मेरे हिन्दू भाईयों के लिए ख़ास

    पाकिस्तान में ननकाणा साहिब पर हमले से दुखी हुए मेरे हिन्दू भाईयों के लिए ख़ास: आप सभी का शुक्रिया कि आप ने इस कठिन घड़ी में हमारा दुख समझा, लेकिन हाल ही में हमारे देश में हुई कुछ ऐसी ही घटनाओं पर शायद आपका धयान ना गया हो तो बता रहा हूँ। *ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में मंदिर को भव्य रूप देने के लिए रास्ते में पड़ने वाले गुरु नानक साहब के ऐतिहासिक पवित्र स्थान को सरकार द्वारा तोड़ दिया गया है वो भी तब जब हम गुरु नानक साहब का 550वां प्रकाश पर्व मना रहे थे I *उत्तर प्रदेश में नगर कीर्तन का आयोजन करने वाले 55 सिखों पर FIR की गई है। *मध्य प्रदेश में कुछ सियासी नेताओं द्वारा सिखों के घर तोड़े गए और उन्हें जूते मार कर वहां से बाहर निकालने की धमकी दी गई। *सिक्किम में गुरु नानक साहिब से संबंधित गुरद्वारा डांगमार साहिब को एक मंदिर में तब्दील किया जा रहा है। *1984 के कत्लेआम के दौरान हरिद्वार में तोड़े गये गुरद्वारा ज्ञान गोदड़ी के दर्शन करने की इजाज़त आज तक नहीं मिली है। देश भर में किसी का भी सिख से व्यक्तिगत झगड़ा हो, 1984 दोहराने की धमकी आम तौर पर मिल ही जाती है। हम इन मुद्दों पर भी आपके समर्थन ...

मुक्ति का मार्ग

    🔰मुक्ति का मार्ग🔰 तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मंदिर नहीं है, बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा, व्यवसाय बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है। तीर्थयात्रा व्रत पूजापाठ व कर्मकांडों में कीमती समय बर्बाद मत करो। धर्मग्रंथों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व मंदिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नहीं होगी। तुम्हारे गले में पड़ी तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नहीं दिलाएगी। काल्पनिक देवी - देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से तुम्हारी दरिद्रता व गुलामी दूर नहीं होगी। अपने पुरखों की तरह तुम भी चीथड़े मत लपेटो, दड़बे जैसे घरों में मत रहो और इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर जान मत गवाओं। भाग्य और ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद करना है । धर्म मनुष्य के लिए है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं है। जो धर्म तुम्हें इंसान नहीं समझता वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है। जहां ऊंच नीच की व्यवस्था है, वह धर्म नहीं गुलाम बनाने की साज़िश है। डॉ० भीम राव अंबेडकर .* ब्राह्मण ना तो भूतों से डरता है,  * ना ही डरता है मरी शमशान से,  * वो ना...

हम क्रोनोलाॅजी बेहतर समझते हैं आप ना समझाइए

    #क्रोनोलॉजी विनी ता की टाइमलाइन से. ●●●  हम क्रोनोलाॅजी बेहतर समझते हैं आप ना समझाइए i) हिटलर शाकाहारी था  ii) वो बिलकुल शराब नहीं पीता था  iii) वो गज़ब का orator था iv) बेइंतिहा चालाक था v)  कभी भी publicly उसने नहीं कहा कि यहूदियों (Jews) को मार दो। ना ऐसा एक भी document मिलेगा जहाँ वो holocaust का समर्थन करता हो। vi) 15 September 1935 को Nuremberg Race Law  लागू किया vii) इसमे उसने सभी यहूदियों को आश्वस्त किया कि इससे किसी भी यहूदी को डरने की ज़रूरत नहीं है उनके साथ कुछ बुरा नहीं होगा viii) इसमें citizenship law के अन्तर्गत सबको अपनी नागरिकता प्रमाणित करने को कहा और यहूदी और जर्मन को segregate किया ix) सभी यहूदियों को पीले रंग के badges बांधना अनिवार्य किया गया x) यहूदियों को सभी सरकारी पदों से अपदस्थ किया गया, उनके व्यवसाय बन्द किये गए xi) उनकी press पर सेंसरशिप लगा दी xii) उनको रोजमर्रा के सामान यहाँ तक कि मेडिकल सुविधा लेने पर भी रोक लगा दी। xiii) चुन चुन कर यहूदी detention camps में भेजे गए जहाँ बिना भोजन पानी दीए जानलेवा मेहनत करवाई गई...

बाल गंगाधर तिलक - शुद्र वर्ण (पिछड़ा वर्ग - OBC ) को और अछूतों ( ST / SC )  को " भारत की नागरिक्ता "  नही दी जा सकती

    बाल गंगाधर तिलक ने अपने द्वारा लिखित सन्1895 के "सविधान " में और उनके पत्रिका -केसरी और मराठा पत्रिका के लेख में।लिखा हैं।।      कि"" शुद्र वर्ण (पिछड़ा वर्ग - OBC ) को और अछूतों ( ST / SC )  को " भारत की नागरिक्ता "  नही दी जा सकती ।क्योकि वर्ण व्यवस्था ( वर्णाश्रम धर्म) के अनुसार शुद्र वर्ण का एकमात्र कर्तव्य उच्च तीनो वर्ण (ब्राह्मण, छत्रिय,वैश्य - GEN ) की सेवा करना हैं। और   धर्म शास्त्रो के अनुसार किसी भी "अधिकारों" को धारण करने अधिकारी नही हैं।।         2 )  महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक " भारत का वर्णाश्रम धर्म और जाती व्यवस्था"     (सन् 1925)  में साफ साफ लिख कर रखा हैं कि " शुद्र वर्ण  (पिछड़ा वर्ग)   और हरिजनों को  "भारत की नागरिक्ता" की मांग भी नही करनी चाहिए क्योकि इससे "वर्णाश्रम धर्म"  नस्ट हो जायेगा।"      3, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दूसरे सरसंघ संचालक -गुरु गोलवरकर अपनी पुस्तक "बंच ऑफ़ थॉट्स"   में यह लिखते हैं कि " शुद्र वर्ण को " देश की नागरिक्ता"...

OBC - ओबीसी की आबादी ५४ प्रतिशत है आरक्षण मात्र २७ प्रतिशत है. क्यों

    निवेदन _    हमारे पिछड़े वर्ग के सभी राष्ट्रीय , प्रादेशिक,जिला सामाजिक संगठन अपने अपने letter head  के द्वारा जिला कलेक्टरों, राज्य सरकारों , केंद्र सरकार तथा राष्ट्रपति महोदय से इस बारे में आपत्ति दर्ज कराते हुए नियमो में संशोधन कर मेरिट में आए कैंडिडेट्स को मेरिट में नियुक्ति देने हेतु नियमो में  बदलाव करने हेतु मांग की जावे। - वह कैंडिडेट्स चाहे ओबीसी के प्रमाण पत्र भले आवेदन के साथ लगावे हो पर मेरिट में स्थान प्राप्त किया हो। - क्रीमी लेयर की आय सीमा ews जैसे आठ लाख प्रति वर्ष की जाए या क्रीमी layer समाप्त किया जावे। _ ओबीसी की आबादी ५४ प्रतिशत है आरक्षण मात्र २७ प्रतिशत है इस से ओबीसी की सरकारी नौकरी में नियुक्ति के अवसर केवल आबादी के हिसाब से मात्र ५० प्रतिशत रह गई है। अतः ओबीसी के समस्त विधायक, सांसद ‌एवम् प्रबुद्ध वर्ग से निवेदन है कि प्रत्येक उचित फोरम में इसे उठाया जावे तथा तब तक प्रयास किया जावे तब तक सफलता नहीं मिलती। कृपया प्रत्येक ओबीसी समर्थित जन इसे उठाए तथा सफलता प्राप्त करे। सादर, आर एन पाटिल एवम् ग्रुप

आज भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाजक बुराईयो के विरूद्ध आंदोलनकारी महानायिका सावित्रीबाई फुले जी

    *आज भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका एवं समाजक बुराईयो के विरूद्ध आंदोलनकारी महान समाज सुधारक महानायिका सावित्रीबाई फुले जी का जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई !* उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने, विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना इत्यादि और हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। भारत की महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र में 3 जनवरी 1831 को एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी (खण्डोजी) नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह सन् 1840 में मात्र 9 वर्ष की उम्र में 12 वर्षीय ज्योतिराव फुले के साथ हुआ।  ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे, उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे।  उनकी कोई संतान नहीं हुई और उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंतराव को गोद ले लिया। इसका फुले परिवार में तीखा विरोध हुआ तो दंपति ने अपने परिवार से संबंध समाप्त कर लिया।  सावित्रीबाई फुले भारत...