🌻धम्म प्रभात🌻
[ बुद्ध के उपदिष्ट धम्म]
एक समय भगवान बुद्ध, शाक्य देश वेधञ्ञा नामक शाक्यों के आम्रवनप्रासाद में विहार कर रहे थे। तब, चुन्द समणुद्देस पावा में वर्षावास कर जहां सामगाम था और जहां आयुष्मान आनन्द थे वहां गए।
भन्ते ! निगण्ठ नाथपुत्त की अभी हाल में पावा में मृत्यु हुई है- चुन्द ने कहा।
ऐसा कहने पर आयुष्मान आनन्द बोले- आओ आवुस चुन्द! भगवान को खबर देने के लिए जहां भगवान है वहां चलें।
चुन्द और भन्ते आनन्द जहां भगवान थे वहां गए और अभिवादन कर एक ओर बैठे।
एक ओर बैठे उनको भगवान ने धम्म उपदेश देते हुए कहा-
चुन्द! जिस घम्म को मैंने बोधकर तुम्हें उपदेश किया है, उसे सभी मिल जुलकर ठीक समझें बूझे, विवाद न करें। जिस में कि यह ब्रह्मचर्य अच्छा और चिरस्थाई होगा, जो कि लोगों के हित, सुख के लिए, संसार पर अनुकम्पा के लिए, देव मनुष्यों के अर्थ के लिए, हित के लिए, सुख के लिए होगा।
चुन्द ! मैंने किन घर्मों को बोधकर तुम्हें उपदेश किया है, जिन्हें कि सभी मिलजुलकर समझें बूझे, विवाद न करें?
वे ये है- जैसे कि-
चार स्मृतिप्रस्थान,
चार सम्यक प्रधान,
चार ऋद्धिपाद,
पांच इन्द्रिय,
पांच बल,
सात बोध्यङ्ग और
अरिय अष्टांगिक मार्ग।
चुन्द! मैंने इन्हीं धर्मों को बोधकर उपदेश किया है, जैसे कि सभी लोग मिलजुलकर ठीक समझें बूझे, विवाद न करें।
चुन्द! उन्हीं विषय में बिना विवाद किए, मिलजुलकर समझना बूझना चाहिए, ऐसा समझो।
नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
Ref: पासादिक सुत्त: दीध-निकाय
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