*बापू को जन्मदिन का उपहार*
कल सपने में बापू अर्थात राष्ट्रपिता से मुलाक़ात हो गई। वही लंगोटी और लट्ठा वाली बनियान। चाल में कुछ तेज़ी, और पसीने से तरबतर। सब से पहले जन्मदिन की बधाई दी, तो नाराज़ हो गए। बोले इस बार के हैप्पी बर्थडे का तोहफ़ा तो महंगा पड़ गया।मैंने सवाल कर लिया, आप भी महाकुम्भ से आस्था की डुबकी लगा कर आ रहे हैं क्या..? नाराज़ हो गए, बोले शर्म करो बापू भी बोलते हो,और मज़ाक़ भी उड़ाते हो। मैंने कहा सारे बड़े नेता जा रहे हैं, फिर आप तो सर्वमान्य और अंतर राष्ट्रीय नेता हैं,आप के जाने में कौन सा ताज्जुब? बोले हम आस्थिक लोग हैं, इवेंट से दूर रहते हैं। दो दिन से हमारे पुराने साथी नेहरू, और धरती पुत्र मुलायम सिंह हमसे नहीं मिले,सुना है कुम्भ हादसे के समय नेहरू की आत्मा घटना स्थल पर नज़र आई थी।
और उसके बाद जो पंडालों में आग लगी उधर मुलायम सिंह घूमते पाए गए थे। निश्चित रूप से ये हाताश, निराश विपक्ष की घटिया चाल थी। हमारे साथियों ने संसार की सब से बड़ी ताक़त को देश से खदेड़ दिया पर कभी उसको इवेंट बनाने का प्रयास नहीं किया, पर आज कल किसी ग़रीब को दो दर्जन केला देते समय भी नेता फ़ोटो खिंचवाना नहीं भूलते, तो ये तो "महाकुम्भ"है। मैंने फिर एक सवाल दाग दिया, आप को नहीं लगता कि, इस समय फिर आपको लाठी उठा लेना चाहिए.? बोले गोरे अंग्रेज़ों से लोहा लेना फिर आसान था,पर देसी अंग्रेज़ों को खदेड़ना टेढ़ी खीर है। क्योंकि उस समय राजशाही परिवारों के अलावा पूरा देश एक था पर अब तो हर तरफ़ "टुकड़े टुकड़े गैंग" नज़र आते हैं। मेरी बदक़िस्मती ये है कि, मेरी तस्वीर वाले नोटों का इस्तेमाल मेरी ही नीतियों को कुचलने के लिये किया जा रहा है और मैं असहाय हूं। एक तकलीफ़ और भी है,अपने घर वाले मुझे गालियां देते हैं और विदेशो में मेरी प्रतिमाएं स्थापित हैं। विदेश से आने वाले हर बड़े नेता की यात्रा मेरी समाधि में हाज़री लगाए बिना पूरी नहीं होती।
एक बात बताइये आपके नाम के साथ अक्सर तीन बंदरों का ज़िक्र होता है। आपके अनुसार वर्तमान में वो तीन बंदर कौन हैं.? बोले बड़े बे अक़्ल हो। इतना बड़ा हादसा हो गया और इसके बाद भी तुम ऐसा सवाल कर रहे हो!
देश का बच्चा बच्चा इन तीनों बंदरों को पहचानता है।
*लगा के आग शहर को ये बादशाह ने कहा, उठा है आज दिल में तमाशे का शौक़ बहुत।*
*झुका के सर सभी शाह परस्त बोल उठे, हुज़ूर का शौक़ सलामत रहे, शहर और बहुत हैं।।*
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