#हनुमान_जयंती
तथागत बुद्ध के पुत्र राहुल (हनुमान) के जन्मदिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
बोधिसत्व हनुमान वास्तव में बुद्ध पुत्र राहुल अर्थात बोधिसत्व वज्रपाणि है|
तथागत बुद्ध जब परिलेयक वन में निवास करते हैं, तब बंदर उन्हें मधु अर्थात शहद खिलाकर उनका सम्मान करते हैं ऐसी जानकारी हमें कपिचित जातक कथा में मिलती है| अनामक जातक कथा बताती है कि जब बोधिसत्व राजकुमार अपनी महाराणी के साथ वन में विहार करते हैं, तभी समंदर का दुष्ट नागराजा उस महाराणी को उठाकर समंदर में अपने टापू पर भगाकर ले जाता है| महाराणी को मुक्त करने के लिए बोधिसत्व वानरराज और उनके सेना की मदद लेते हैं और महाराणी को नागराजा से मुक्त कर वापिस अपनी राजधानी लाते है| इस तरह, हनुमान से संबंधित कथाएं सबसे पहले हमें बौद्ध जातक कथाओं में मिलतीं हैं| भरहुत में बोधिसत्व वानर बुद्ध को मधु दे रहे हैं ऐसा शिल्प अंकित मिलता है| सन 251 में सोगदियन बौद्ध भिक्खु सेंघुई ने अनामक जातक कथा को चीनी भाषा में "लुई तु चि चिंग" नाम से अनुवादित कर दिया था| इससे पता चलता है कि, बोधिसत्व वानर का सबसे पहला जिक्र बौद्ध साहित्य में मिलता है|
"Historical evolution of the Rama legend" इस लेख में प्रसिद्ध इतिहासकार सुविरा जैस्वाल बताती है कि, बौद्ध दशरथ जातक कथा से रामायण का निर्माण हुआ है और रामायण का हनुमान यह पात्र भी बौद्ध जातकों पर आधारित है|
"हनुमान" शब्द का अलग अलग अर्थ मिलता है, लेकिन सही अर्थ बिलकुल अलग है| हनुमान शब्द में "हनु" मतलब "हनन करना" और "मान" मतलब "अत्माभिमान या आत्मवाद"| अर्थात, हनुमान मतलब आत्मवाद का नाश करनेवाला और अनात्मवाद का प्रचार करनेवाला बोधिसत्व| बुद्ध के बताये गये अनात्मवाद पर चलते हुए व्यक्ति अपने आत्मवाद का हनन कर देता है और बोधिसत्व अर्थात हनुमान बन जाता है|
"हनुमान चालीसा" 16 वी सदी में तुलसीदास ने लिखी थी, जिसमें उन्होंने पहले ही पंक्ति में लिखा है- "जय हनुमान ज्ञान गुन सागर... " अर्थात, हनुमान ज्ञान के सागर अर्थात बोधिवान/बोधिसत्व है, जो आत्मवाद को त्यागकर बलवान बोधिसत्व (वज्रपानी) बन जाते हैं|
वज्रपानी बोधिसत्व के आधार पर बाद में हनुमान को वज्रधारी अर्थात बजरंग कहा जाने लगा था| "वज्र" मतलब "बौद्ध त्रिरत्न का अटूट प्रतीक" और "पाणि" मतलब "वज्र इस शस्त्र को हाथ में पकडकर इस्तेमाल करनेवाला बोधिसत्व"| गांधार शिल्पों में बोधिसत्व वज्रपानी को बुद्ध की रक्षा करते हुए दिखाया गया है| आंबठ्ठ सुत्त में भी बुद्ध की तरफ से बोधिसत्व वज्रपानी ब्राह्मण आंबठ्ठ को अपने वज्र से उसके सिर के सात टुकड़े करने की धमकी देता है, जिससे आंबठ्ठ तत्परता से बुद्ध की शरण में आता है| वज्रअंग/बज्रअंग/बजरंग मतलब "जिसका शरीर (अंग) वज्र इस शस्त्र की तरह अटुट है|" वज्र यह एक बौद्ध शब्द है, जो त्रिरत्न से बने अभेद्य तथा अटुट वज्र इस शस्त्र को दर्शाता है| इस शस्त्र को बोधिसत्व वज्रपानी धारण करते हैं, इसलिए बजरंग और वज्रपानी एक ही है| (The Shaolin Monastery, Meir Shahar, 2008, p. 85)
तथागत बुद्ध और बौद्ध धर्म की बोधिसत्व संकल्पना पर रामायण, महाभारत तथा अन्य ग्रंथ लिखे गए हैं| महायान बौद्ध धर्म में कुषाण साम्राज्य के काल में (1-2 AD में) तथागत बुद्ध को सर्वशक्तिमान दसबली या महाबली समझा जाता था| शक्तिमान बुद्ध को काउंटर करने के लिए ब्राम्हणों ने 5 वी सदी के बाद शक्तिमान पात्र हनुमान को सामने लाया था| (Haunting the Buddha, DeCaroli, Robert, 2004, p. 182)
तथागत बुद्ध के माताजी को "अंजनी" कहा जाता था, इसलिए बुद्ध को "अंजनी सुत" भी कहते हैं| हनुमान को भी "अंजनी सुत" कहा गया है| बुद्ध और उनके भिक्खु वायु की गति से धम्म का प्रचार प्रसार करते थे| इसलिए, सद्धर्मपुंडरिक सुत्र में बुद्ध को "वायुसम" कहा गया है| (Buddha is known like the wind (Wayusam) since he unattached and hence has no abode) वायुसम मतलब वायु के जैसे गतिमान (मरुत) इसलिए हनुमान को मारोती भी कहा जाता है| इस तरह, वायुसम बुद्ध मतलब मारुति या हनुमान होता है|
प्रसिद्ध इतिहास संशोधक फिलिप लुटगेनडोर्फ ने लिखा है कि, रामायण दुसरी से चौथी सदी के दरमियान लिखा गया है और उसमें समय समय पर नये नये अध्याय जोडे गए और रामायण लिखने के 1000 साल बाद मतलब मुस्लिम काल में 12 वी सदी के बाद हनुमान पात्र प्रसिद्ध हो चुका था| (Philip's Hanuman's tale: The messages of a divine monkey, a review by Paul Richman, 2010, vol. 69, p. 1287-88)
16 वी सदी में तुलसीदास ने सम्राट अकबर के समय बोधिसत्व राम का ब्राम्हणीकरण करने के लिए रामचरितमानस ग्रंथ लिखकर रामायण का जनमानस में प्रभाव बढाया था और उसके आधार पर रामलीला किए जाने लगे थे| तुलसीदास ने ही हनुमान चालीसा लिखकर हनुमान का महत्व समाज में बढाया था| 17 वी सदी में संत रामदास ने महाराष्ट्र के हर गांव में हनुमान मंदिर बनवाकर हनुमान पुजा का महत्व महाराष्ट्र में बढाया था| इस तरह, 12 वी सदी के बाद बोधिसत्व हनुमान अर्थात वज्रपानी का ब्राम्हणीकरण किया गया|
उपरोक्त विश्लेषण से यही स्पष्ट होता है कि, तथागत बुद्ध और बोधिसत्व वज्रपाणि पर आधारित हनुमान, बजरंग बली यह पात्र आधारित है और हनुमान चालीसा भी जयमंगल अट्ठकथा पर आधारित है| इससे स्पष्ट होता है कि, बोधिसत्व हनुमान वास्तव में बोधिसत्व वज्रपाणि अर्थात बजरंग बली ही है|
-- डा. प्रताप चाटसे, सनातन धम्म अभ्यासक
टिप्पणियाँ