"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अध्यक्ष मोहन भागवत" ने कहा कि *सन 1857 के विद्रोह में शिर्डी के सांई बाबा का बहुत बड़ा योगदान था* वहीं "बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम" पिछले 40 वर्षों से बहू जन समाज को समझते आ रहे है कि *शिर्डी के सांई बाबा ओर कोई नहीं झासी की रानी का सेनापति नाना साहब पेशवा (ब्राह्मण) ही था । जो सन 1857 में अंग्रेजो के हारने के बाद , हारने के कारण की खोज करने ओर अपने मुंह काला करने उत्तर भारत से मद्य भारत के गुमनाम इलाके महाराष्ट्र के शिर्डी में आकर गुमनाम जिंदगी जिया । जिसे पुणे के हारे हुए पेशवा राजाओं के वंशजों ने भी सन 1995 ओर 2008 में इसका समर्थन किया ओर प्रेस में स्टेटमेंट दिया । कि शिर्डी का साई बाबा हमारा रिश्तेदार है ।* यह सब *महार रेजिमेंट ,ओर महात्मा ज्योतिबा फुले के अथक संघर्षों के कारण ही था कि ब्राह्मणों को सोचना पड़ गया कि ""मनुस्मृति का कानून नहीं चलेगा"" ओर इस देश में मुलनिवासियों शूद्र समाज को भी आंग्रेजो से आजाद करवाने मदद लेनी होगी। लेकिन महात्मा ज्योतिबा फूले ने *ठग - साई बाबा* का साथ कभी नहीं दिया । ओर न ही उसका साथ लिया। ///// विशेष - आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोल रहा है कि सन 1857 की भ्रांति (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) में "साई बाबा का बहुत बड़ा योगदान था । तो आपको (पिछड़े वर्ग को) भी समझना होगा कि साईं बाबा का क्या योगदान था , कहा जाकर अंग्रेजो की सेना से लडाई किया । ओर विद्रोह में सहयोग किया । या "अंग्रेजो के डर से G फटी में पूरी उम्र छू पता रहा गीदड़ की तरह" ! *जागो पिछड़ों जागो* (ब्राह्मणों का इतिहास पड़ो ओर समझो)