ट्रंप 👉पाकिस्तान के आगे सरेन्डर करो सीजफ़ायर करो -- जब गांव में नहीं था गूदा तो क्यों लंका में कूदा"

 


ट्रंप 👉पाकिस्तान के आगे सरेन्डर करो सीजफ़ायर करो 


🎅👉 जो हुकुम माइ बाप मै आज ही सरेन्दर कर दुन्गा 


👉देश की नाक कटती है कट जाये मेरे मालिक आपके हुक्म की तामील होगी😡😡

युद्ध विराम को लगभग 24 घंटे होने को हैं , विदेश सचिव से युद्ध विराम की घोषणा करवा दी गई। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री मोदी अभी तक चुप हैं। देश के गृहमंत्री अमित शाह चुप हैं, देश के रक्षामंत्री राजनाथ चुप हैं।


सीज़ फायर की क्या शर्तें थीं देश की जनता को नहीं पता, लिखित में थीं या ज़बानी किसी को नहीं पता। अमेरिका का राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप खुलेआम काश्मीर मामले में दखल देने की घोषणा कर रहा है। इस पर मोदी सरकार की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं।


जैसे सियापा पड़ गया हो।


उधर दुश्मन मुल्क का प्रधानमंत्री तीन बार देश को संबोधित कर चुका है, भारत पर जीत की अपने देशवासियों को मुबारकबाद दे रहा है, रात में धमकी दे रहा है कि फिर मारेंगे।


पाकिस्तान में सड़कों पर जश्न मनाया जा रहा है, वहां के सैनिकों का फूल मालाओं से स्वागत किया जा रहा है। लड्डू बांटे जा रहे हैं, 


राफेल पर मीम बनाए जा रहे हैं, AI के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री मोदी के फूहड़ और शर्मनाक वीडियो बनाए जा रहे हैं। एक वीडियो देखा जिसमें कहा जा रहा है कि 

             *"जब गांव में नहीं था गूदा तो क्यों लंका में कूदा"*

इधर अंध भक्त मंडली गाली-गलौज पर उतर आई है , मोदी सरकार के लोग अपना ट्विटर एकाउंट लाक कर रहे हैं...

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 हमारे महान और सर्वज्ञानी मीडिया के अनुसार, कराची और इस्लामाबाद पर तो हमने ऐसे कब्ज़ा कर लिया जैसे गली में क्रिकेट का मैच जीत लिया हो।


यहाँ तक कि मेरे गाँव के एक चाचा ने फोन करके बड़ी गंभीरता से पूछा, “अब जब लाहौर, कराची और इस्लामाबाद हमारी जेब में हैं, तो वीज़ा-फ्री ट्रैवल कब चालू होगा?”


कहते हैं, हमारे पास दुश्मन के तीन पायलट भी हैं। पर अजीब बात है, पायलट हमारे पास हैं, न कोई फोटो, न बयान, न सबूत।


फिर आई खबर कि ड्रोन कश्मीर में घुसे और वापस निकल गए। क्या ड्रोन रिश्तेदारी निभाने आए थे?


और हाँ, कल की तो बात ही मत पूछिए। ब्रेकिंग न्यूज़ थी कि “कश्मीर में 100 धमाके हो गए”! पूरे देश की साँसें अटक गईं। पाँच मिनट बाद खबर आई कि कोई धमाका नही हुआ है।


अब तो मीडिया से सच्चाई की उम्मीद करना वैसा ही है जैसे WhatsApp यूनिवर्सिटी से नोबेल प्राइज की उम्मीद करना।


जल्द ही ये फिर लौटेंगे अपने सबसे पसंदीदा ‘TRP बूस्टर’ पर — हिंदू बनाम मुस्लिम।

क्योंकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाना इनका सबसे सफल मिशन है।

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