सामाजिक चरित्र निर्माण में भारतीय संस्कृति में हिंदू ब्राह्मण धर्म के हिंदुत्व में अंधविश्वास,अंधभक्ति से संविधान इंसान इंसानियत को खतरा पर चिंतन!
सामाजिक चरित्र निर्माण में भारतीय संस्कृति में हिंदू ब्राह्मण धर्म के हिंदुत्व में अंधविश्वास,अंधभक्ति से संविधान इंसान इंसानियत को खतरा पर चिंतन!
---------------------------------------------------------------------------
धार्मिकता,संस्कारों का महत्व भी गरीब,मध्यम परिवारों के लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। अमीरों के लिए धन से अधिक महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।संस्कार,चरित्र का निर्माण भारतीय समाज,देश के लिए बहुत आवश्यक है।चरित्र निर्माण में भारतीय समाज,संस्कृति,शिक्षा,रोजगार के लिए जरूरी है। समाज ही अच्छे राष्ट्र का निर्माण होता हैं।
चरित्र निर्माण हमारी सोच पर निर्भर है। सांस्कृतिक विरासत,संस्कृति पर निर्भर करता है। राष्ट्र एवं समाज निर्माण में परिवार, समाज के वातावरण में माता पिता की भूमिका महत्वपूर्ण है। समाज के निर्माण नैतिकता सोच पर निर्भर होती है, चरित्र निर्मण के लिए संस्कारों का होना जरूरी होता है। इसके लिए धर्म,कर्म, सेवा भाव के अतिरिक्त संभव नहीं हो सकता है।चरित्र निर्माण में जन्म बातावरण की भूमिका के विना समाज और देश का निर्माणक्ष नहीं हो सकता।
धर्म एवं धार्मिकता धर्मावलंबियों ने समाज एवं समाजीकरण के निर्माण अराजकता में भाजपा, मोदी,धर्मगुरु मीडिया दिन रात नफरत का एजेंडा चलाकर राष्ट्रनिर्माण में इंसान,इंसानियत के खिलाफ दुश्मनी पैदा करने में अहम भूमिका निभा समाज निर्माण में विषमताओं में एकता के सिद्धांत को खतरा पैदा हो रहा है। धार्मिकता,धर्म, धर्मगुरु अपने अपने कर्तव्यों बाखूवी निभाने में असफल होने का कारण राजनीति में दखल से हुआ है। जिसके कारण भारत की छवि को धूमिल किया जा रहा है। भारत यूरोपीयन देश के संगठन नाटो के हाथों की भारत कठपुतली बना हुआ है। यूरोपीय देश एवं अमेरिका की भारत कठपुतल बनाने के लिए मोदी को सम्मान देकर रुस के खिलाफ खड़ा करने के लिए हर समझौता के लिए नाटो संगठन काम कर रहा है।नाटो रणनीति को भाजपा के लोग विश्व आध्यात्मिक गुरु बनता देख रहा है।जो भ्रम के अलावा कुछ नहीं है।
भारत के निर्माण में लोकतंत्र की भूमिका भारतीय अधिनायकवाद की समर्थक भाजपा भारतीय लोकतंत्र को पूंजीवादी बनाने में लगीं हुईं हैं। जिससे गरीब मध्यम वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड सकें। इसका सीधा सीधा मतलब है, कि राजा फिर धनबान के घर में पैदा होने लगेंगे। भाजपा और मोदी सरकार पूंजीवादी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए डा अम्बेडकर के सपने का भारत निर्माण को कमजोर करके मनुस्मृति राज लाने की पूरी योजना है। जिससे संविधान लोकतांत्रिक व्यवस्था को लगातार खतरा बढ़ता ही जा रहा है। इसके लिए बहुजन शोषित वर्ग (एससी, एसटी, पिछड़ी जातियों) को सोचने समझने की जरूरत है।
राजनेता अमीर परिवारों से होने के कारण राजसत्ता पर कब्ज़ा भी इन्हीं का है। राजनेता में धार्मिकता और संस्कार, चरित्र नहीं होता है। वह तो अपने कर्म से लोगों को गुमराह करने में धार्मिक गुरुओं, मीडिया का सहारा धन के बल पर हासिल करके लोगों को वह दिखाते हैं, जो उनके हित में होता है। इसी लिए हिंदुत्व और हिंदू का राग भाजपा अल्प रहीं हैं। जबकि भारतीय संविधान में भारतीयता को अहम भूमिका निभाने के लिए प्रावधान किया हैं।संबिधान ऊपर धर्म कभी नहीं हो सकता, लेकिन भाजपा के एजेंडा में ऊपर धर्म है। धर्म में लोगों की आस्था होती है। इसलिए लोग भाजपा के साथ हिंदू हिंदुत्व के नाम पर साथ खड़े हुए हैं, जबकि लोगों को पता नहीं है।कि भाजपा लागों के साथ अन्याय कर रही है।
राजनेता,राजनैतिक दल गलत होते हुए भी लोग उन्हें सही मानते हैं।जिसका लाभ दलों, राजनेताओं को मिल रहा है।कर्म को समझना बहुत जरूरी है,उसके बाद लाभ की बात सोचना चाहिए। दलों, राजनेताओं की मनगढ़ंत स्टोरी को कभी सही नहीं मानना चाहिए। राजनेताओं, पूंजीपतियों की समर्थक मीडिया की भूमिका संदेहास्पद हैं।जिनके कंधों पर समाज, देश निर्माण का दायित्व है। वहीं भारतीय समाज और लोगों के अधिकारों के भसख हैं।देश खतरनाक सोच से गुजर रहा है। जिससे सावधान रहने की जरूरत है।
रुमसिहं राष्ट्रीय अध्यक्ष लेबर पार्टी आफ इंडिया,
टिप्पणियाँ