*~~~पुलवामा में सुला दिया था~~~*
*~~~~पहलगाम में जगा रहे हैं~~~*
*सभी को ये तो लड़ा रहा है, अमन परस्ती बता रहा है।*
*अभी तो नफ़रत और बढ़ेगी, सभी को ये डर सता रहा है।*
वक्त नहीं ऐसे आता है, उसे बुलाया ही जाता है।
जाग रहे हैं जो चौकन्ने, उन्हें सुलाया ही जाता है।
*चमन कभी गुलजार हुआ था, आग ये कैसी लगा रहे हैं ?*
*पुलवामा में सुला दिया था, पहलगाम में जगा रहे हैं।*
ये प्रजाति तो ड़ूब चुकी थी, अंश बचा था अपने घर में।
देखो ये कितनी तेजी से, पनप रही है गाँव शहर में।
*कफ़न बेंचने वाले भी तो, अपनी कीमत बढ़ा रहे हैं।*
*और चढ़ावा करने वाले, जाने क्या क्या चढ़ा रहे हैं।*
भक्तों की आँखों पर पट्टी, चढ़ा चढ़ा के भेज रहे हैं।
चरण वन्दना करने वाले, उनको खूब सहेज रहे हैं।
*ये कैसा लेखा जोखा है, नहीं जवाब अभी तक आया।*
*जिनके दम पर उछल रहे थे, उनका ही कर दिया सफाया।*
होनी भी है अनहोनी भी, अभी ठिकाना बदल रहा है।
तीर वही तलवार वही है, अभी निशाना मचल रहा है।
*कुछ घट में है कुछ पनघट में, मगर निशाने चूक रहे हैं।*
*इसी दौर में गरज रहे थे, मगर अभी वे मूक रहे है।*
घाट घाट का पानी पीते, उनका भी क्या पता रहा है ?
झूठ कथन विश्वास भरा हो, बता ही सबको धता रहा है।
*सभी को ये तो लड़ा रहा है, अमन परस्ती बता रहा है।*
*अभी तो नफ़रत और बढ़ेगी, सभी को ये डर सता रहा है।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
*1-* वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी *2700 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।
*2-* कृपया कापी राइट का उल्लंघन न करें तथा रचनाओं को अधिक से अधिक अग्रसारित करें।
*3-* यदि आप सोशल मीडिया पर प्रसारित पूर्व की रचनाओं को पढ़ना चाहते हैं तो कृपया आप *अनंग साहब* के फेसबुक मित्र बनकर *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* पेज पर जाकर पढ़ सकते हैं।
*4- सम्पर्क सूत्र~*
टिप्पणियाँ