आदिवासी पहचान
भोपाल भोपालियत
आदिवासी गोंड ईतिहास बचाने कि
सही ही वकालत की है आरिफ मसुद ने
भोपाल का नाम ही आदिवासी पहचान है
बस्ती भोपाल भुपाल शाह सल्लाम के नाम पर हे आगे चलकर ये मध्यप्रदेश कि राजधानी बना
वेसे भी भुपाल शाह सल्लाम को लाखो सलाम
जिसने बसाया था भुपाल ओर नाम पढ़ा गया भोपाल अब गोंड आदिवासी ईतिहास को दबाने के लिये राजा भोज व भुपाल शाह के भोपाल नाम पर राजनीत करना न्याय नही हे आदिवासी ईतिहास के साथ
भोज ओर भोपाल को जोड़कर गोंड कालीन ईतिहास को विलुप्त किया जाना बहुत गंभीर तृटि हे भुपाल शाह सल्लाम ने भोपाल बसाया था उस भोपाल को आधुनिक भोपाल नवाब दोस्त मोहम्मद खान ने बनाया था भुपाल सिंह सल्लाम के भुमिगत महल कि सुरंगे हमिदिया अस्पताल फतेहगढ़ किले के बाहरी हिस्से यानी कमला नेहरु अस्पताल के पीछे थी जिसको मप्र पुरातत्व विभाग कि मोन सहमती बंद आंखो कि साजिश के तहत नेस्तनाबुद कर दिया ये भी आदिकाल वेदिक संरचना कि भोगोलिक हत्या हे भुपाल सिंह सल्लाम के बुर्ज कि निशानी व महल कि दीवार अभी वीआईपी रोड करबला कि तरफ बाकी अवशेष हे पिछले दिनो फतेगढ़ किला जो कि अब का हमिदिया अस्पताल दो हज़ार बिस्तरो के विस्तार योजना के दोरान फतेहगढ किले के अवशेष मिटाये जा रहे पुरानी लाल ईमारत के पिछले हिस्से मे एक सुरंग कि सीड़ीनुमा रास्ता निकला था लेकिन एक अस्पताल मे रुकावट बन रही वेदिक संरचनाए जो तालाब के नीचे के रहस्यमयी रास्तो को दफन कर दिया गया जिसको दोस्त मोहम्मद खान ने बचा कर रखा था गोंड आदिवासी ईतिहास को कभी दोस्त मोहम्मद खान ने नही छुपाया भोपाल का भोज से ताल्लुक केसे हो सकता हे जबकि गिन्नोर का किले के अवशेष अब भी गोंड ईतिहास के गवाह हे धार रियासत परमार व गुप्त कालीन थी ये बीता ईतिहास ओर आजका वर्तमान एयरकंडिश्नर रुम मे बेठे जेसे ठेट राजनेताओं के हाथ कि कठपुतली बन गया हे मुद्दा हमीदिया परिसर मे ढाई सो बड़े छोटे वृक्ष काट दिये गये 37 पेड़ पीपल के सो साल से भी पुराने काटे गये कोई धर्म रक्षक को कान पे जुं नही रेगीं भोपाल कि छोटी सी रियासत कमलापति महल का आकार देख कर पता चल जायेगा कि राजा भोज क्या एसे छोटी सी इमारत मे रहे थे जो कि ईसलामी शेली से बना महल है ,
जबकि राजा भोज कि धार मे लायब्रेरी ईस से कइ गुना बड़ी थी ओर पहाड़ि ईलाको मे क्या प्रमाण हे कि राजा भोज का येंहा कोइ मुकाम था गोंड कालीन ईतिहास छिपाकर कोन सी दुशमनी निभाना चाहते हैं गोंडवंश का सुनहरा ईतिहास दफन कर दिया गया उसको दोबारा युवा पीढ़ि के सामने लाया जाये
जिसने बसाया था भुपाल ओर नाम पढ़ा गया भोपाल अब गोंड आदिवासी ईतिहास को दबाने के लिये राजा भोज सेतु व अन्य योजनाओ का नाम तो रखा जाना सवाल खड़े करता हे
भुपाल शाह सल्लाम कि कोई निशानी के तोर पर नयी योजना व सेतु क्यो नही??
एस असरार
9300122775
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