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शासकीय प्राइमरी स्कूल

 


चित्र में बैठे बच्चे शकीना एवं मोहम्मद अल्तमस से आज कोर्ट से घर जाने के दौरान कुछ देर चर्चा हुई और मुझे पोस्ट के लिए नई स्टोरी मिल गई।


हुआ यूं कि यह दोनों बच्चे मेरे कस्बे के शासकीय प्राइमरी सराय स्कूल नरसिंहगढ़ की पांचवी कक्षा के नियमित विद्यार्थी है, 
15 दिन पहले इनकी क्लास टीचर ने सभी बच्चों को कहा कि अपने स्कूल पर पांच वाक्य लिखकर अपने घर से लाइए ।


अब बच्चे तो बच्चे ठहरे इन दोनों बच्चों ने 5 वाक्य लिखे, जो मजेदार होने के साथ ही मध्य प्रदेश के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह है , आपको भी पोस्ट के जरिए बताने से अपने को रोक नहीं पाया ।
बच्चों ने लिखा:-


1- हमारे स्कूल के प्रवेश द्वार की दीवार पर रोजाना सैकड़ों लोग पेशाब करते हैं जिस से दुर्गंध आती है कुछ लोग उसी प्रवेश द्वार की दीवार के अंदर भी पेशाब करने आ जाते हैं जो हमें नहीं सुहाता है।
2- हमारे स्कूल के लेट्रिन बाथरूम में हमेशा के लिए ताले जड़े हुए हैं, जिस कारण घर से ही चिंता से पेशाब करके जाना पड़ता है और स्कूल में पेशाब रोकनी पड़ती है।
3- हमारे स्कूल में हमारी कक्षा में पंखे नहीं है, जबकि हमारे स्कूल के ऑफिस में दो पंखे लगे हैं।
4-  हमारे स्कूल में खेलने की जगह नहीं है पूरे स्कूल में कीचड़ फैला है, जिसमें सूअर लोटते रहते हैं।
5-   हमारे स्कूल में सभी क्लास के बच्चे एक साथ एक ही कक्षा में पढ़ते हैं।


बात, बच्चों से यूं निकली कि, बच्चे कहने लगे की अंकल हमारी मैडम कहती है कि कोई आए तो यह मत कहना कि लेट्रिन बाथरूम में ताले लगे रहते हैं , यही कहना कि खुले रहते हैं। हम क्या बताएं आप बताओ ?और बात चल निकली और बच्चों से यह जानकारी छनकर निकल आई ।


मेरे पूछने पर बच्चों ने यह भी बताया कि स्कूल में पहली से पांचवी तक कुल 14 या 15 बच्चे ही आते हैं , जो एक साथ बैठकर पढ़ते हैं और स्कूल में 4 शिक्षक पदस्थ हैं, 
आश्चर्य व दुख है कि इतने कम बच्चे होने के बावजूद सुविधा का नामोनिशान नहीं । सिर शर्म से झुक गया।
आप सभी को पोस्ट के माध्यम से मध्य प्रदेश की स्कूली व्यवस्था की दुर्दशा को साझा कर रहा हूं। बात दूर तक जानी चाहिए।


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