रामायण महाभारत सब काल्पनिक कहानियां हैं इतिहास नहीं, यह बात सुप्रिम कोर्ट ने भी माना है।
न कभी सतयुग, द्वापरयुग त्रेतायुग था और न ही कोई ब्रह्मा, विष्णु, शंकर ,राम ,कृष्ण ,हनुमान, रावण आदि पैदा हुए, ये सब ब्राह्मणों की लिखी काल्पनिक कहानियों के काल्पनिक पात्र हैं वैसे ही जैसे स्पाइडर मैन और शक्तिमान जैसी कहानियां हैं। मानव सभ्यता के विकास का इतिहास पढ़िए, मानव कब तक जंगलों में शिकार करके कच्चा मांस खाकर जीवित रहा, कब आग का आविष्कार करके मांस भूनकर खाने लगा, कब से खेती करने लगा, कब पत्तों से तन ढकना शुरू किया कब कपड़े का आविष्कार हुआ, कब लोहा, तांबा, पीतल, सोना, चांदी आदि धातुओं की खोज हुई, कब मानव ने लिखना-पढ़ना शुरू किया ,कब कागज का आविष्कार हुआ ? सब कुछ पूरे विश्व के इतिहास में दर्ज है और यह सब कुछ हजार साल पहले का इतिहास है जो पुरातात्विक सबूतों का अध्ययन करके लिखा गया है यह सत्य है या ब्राह्मणों के लिखे निराधार कपोल कल्पित सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग की कथित लाखों साल पहले की कहानियां? जिन्हें वे इतिहास बताते हैं तर्कशील बनिए बच्चों को भी तर्कशील बनाइए।
जब से लोहे की खोज हुई यानी अड़तीस सौ साल के ज्ञात इतिहास में कोई राम या कृष्ण का अवतार हुआ नहीं और उसके पहले हो नहीं सकता क्योंकि हर ग्रंथ में तलवार त्रिशूल फरसे आदि लोहे के बने हथियारों का वर्णन है सवाल यह है कि लाखों साल पहले तलवार त्रिशूल फरसा आदि हथियार बनाने के लिए लोहा आया कहां से? इससे यही सिद्ध होता है कि ये कहानियां हैं जो लोहा और कागज के आविष्कार के बाद लिखी हैं।
अंधविश्वास तर्कशीलता का मार्ग अवरूद्ध कर देती है और मनुष्य को भक्त बना देती है जिससे धर्म का धंधा करने वाले मुफ्तखोरों को उनका हर प्रकार का शोषण करने का अवसर मिल जाता है और शोषकों का विकास एवं शोषितों का सत्यानाश हो जाता है। जिन काल्पनिक कहानियों को आप धर्म समझ रहे हो वे कुछ नहीं ब्राह्मण वर्चस्ववादी सामाजिक व्यवस्था का महिमा मंडन हैं जिसमें शूद्रों यानी एससी, एसटी, ओबीसी को शिक्षा संपत्ति शस्त्र सम्मान का कोई अधिकार ही नहीं है और महिलाओं को तो उपभोग की वस्तु के समान समझते थे इसीलिए तो मृत पति की चिता पर रखकर जिन्दा जला दिया जाता था, उसे सती प्रथा के नाम से महिमा मंडित किया गया है जिसे अंग्रेजों को कानून बनाकर प्रतिबंधित करना पड़ा ।कोई ईश्वर देवी देवता न शूद्रों और अछूतों को शिक्षा, संपत्ति, शस्त्र सम्मान दिलाने के लिए आया और न ही किसी को उन लाखों महिलाओं की चीख-पुकार ही सुनाई पड़ी जो पति के शव के साथ जिन्दा जला दी गईं।
जब तक आप अपना इतिहास नहीं जानेंगे भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते ब्राह्मण वादी विषमता वाद और अंधश्रद्धा वाद के यातना गृह से बाहर निकालकर शूद्रों और महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए समतावादी महापुरुषों के संघर्षों का हजारों साल का इतिहास है आज शूद्रों और महिलाओं के जीवन स्तर में जो भी सकारात्मक बदलाव आये हैं उन्हीं मानवता वादी महापुरुषों के संघर्षों के बदौलत आये हैं किसी ईश्वर देवी देवता की कृपा से नहीं इसलिए इन कथित धर्मों के मकड़जाल से बाहर निकलिए और अपने समतावादी महापुरुषों बुद्ध, कबीर, रविदास, ज्योतिबा फुले शाहूजी महाराज डाॅ. अम्बेडकर पेरियार आदि के संघर्षों उनके विचारों को जाने उनके बारे में उपलब्ध साहित्य पढ़ें उन्हें आत्मसात करके वैज्ञानिकता वादी दृष्टिकोण अपनायें जागें और जगायें समाज और देश का कल्याण इसी मार्ग पर चलकर होगा भजन कीर्तन पूजा-पाठ करने से नहीं।
*भारत का हर समाज के नेतृत्वकर्ताओं से अनुरोध है कि वे इस गंभीर समस्या पर चर्चा करें और एक ऐसा रास्ता तैयार करें जो युवाओं को भटकाव के रास्ते से रोककर विकास के मार्ग पर ले जा सकें। स्वार्थ न समझकर परोपकार समझ कर सहयोग करें। कृपया जन-जागरण एवं चेतना हेतु जनता को जागरूक कर आगे बढायें और देश की अखण्डता बचा कर पाखण्ड मुक्त भारत बनायें।*....आगे आप समझदार हैं...उम्मींद है आप समझेंगे...
जागो बहुजन-भाईयों-बहनों जागो मूल-निवासीयों जागो।
अंधविश्वास, पाखण्ड से बाहर निकल कर अपना, अपने परिवार, अपने समाज और अपने देश की प्रगति में अपना योगदान दें।
पाखण्ड भगाओ, देश बचाओ...
*अपना तर्क लगायें. इतिहास को जाने. नया इतिहास रचें*.
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ये राजस्थान भाजपा सरकार की डिप्टी सीएम प्रिंसेस दिया कुमारी हैं इनके परदादा के परदादा थे मान सिंह, मान सिंह की बहन थी जोधा बाई, जोधा बाई के पोते का नाम था औरंगजेब। औरंगजेब के रीश्तेदारों को भाजपा डिप्टी CM बनाती हैं, और उधर अंधभक्त औरंगजेब को गालियां देते हैं! भाजपा गड़े मुर्दे उखाड़ती है तो यहाँ गड़ा इतिहास उखाड़ लाया गया है।
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