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अंग्रेज शूद्रों के लिए भाग्य-विधाता साबित हुए


*अंग्रेज शूद्रों के लिए भाग्य-विधाता साबित हुए*
    1- क्या आप लोग जानते हैं- अंग्रेजों ने जब लाईन पूरे देश में बिछाना शुरू किया तो ब्राह्मणों ने हिन्दू समाज को भड़काकर जबरदस्त विरोध किया। यह कहकर कि, धरती माता को लोहे से बांध रहे हैं। अधर्म हो जायेगा, महामारी फैल जायेगी, कोई नहीं बचेगा। कई जगहों पर दिन में लाईन बिछाई जाती थी और रात को उखड़वा देते थे। कहीं कहीं तो धार्मिक भावना भड़काकर देवी -देवता या भगवानों का ,लाईन उखाड़ कर, रातों-रात मन्दिर बनवा देते थे।
    प्रमाण देखना है तो गाजीपुर ज़िले में दिल्ली-कोलकाता रूट पर, दिलदारनगर जंक्शन स्टेशन पर उखाड़ी लाईन पर ही शायर माई का मंदिर रातों-रात बनवा दिये। जबरदस्त विरोध के कारण अंग्रेज़ मंदिर नहीं हटा पाएं और ट्रैक को उन्हें मोड़ना पड़ा। आज़ भी दो ट्रैक के बीचो-बीच दिलदारनगर रेलवे स्टेशन पर मौजूद है।
  जानते हैं ऐसा बिरोध क्यों? ब्राह्मणों का कहना था कि हम लोग शूद्र के साथ नहीं बैठ सकते हैं। पृथ्वी पर अधर्म हो जाएगा। हम लोगों के लिए अलग बोगी, नहीं तों डब्बे में ही अलग से ऊंची सीट ब्राह्मणों के लिए बनाना पड़ेगा, तभी हिन्दू धर्म की पवित्रता बनीं रहेंगी। अफशोस! अंग्रेजों ने हिन्दू धर्म को अपवित्र करके ही छोड़ा।
   2- नरबलि- जो कि  शूद्रों की दी जाती थी।अंग्रेजों ने  इसे रोकने के लिए 1830 में कानून बनाया था।
 3-  सन 1919 ईस्वी में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी , अंग्रेजों ने कहा था कि इनका चरित्र न्यायिक नहीं होता है।
  4- शासन व्यवस्था पर ब्राह्मणों का 100% कब्जा था। अंग्रेजों ने इन्हें 2.5% पर लाकर खड़ा कर दिया था।
  5-  क्या आप लोग जानते हैं- अंग्रेजों ने अधिनियम 11 के तहत शूद्रों को 1795 ईस्वी में संपत्ति रखने का अधिकार दिया था।
   6- देवदासी प्रथा- अंग्रेजों ने ही बंद कराई, इस प्रथा में यह होता था कि शूद्र समाज की लडकियाँ मंदिरों में देवदासी के रूप में रहती थीं,पंडा-पुजारी उनके साथ छोटी उम्र में बलात्कार करना शुरू कर देते थे और उनसे जो बच्चा पैदा होता था , उसे हरिजन कहते थे।
   7- सन 1819 से पहले किसी शूद्र की शादी होती थी, तो ब्राह्मण उसका शुद्धीकरण करने के लिए नववधू को  3 दिन अपने पास रखते थे, उसके उपरांत उसको घर भेजते थे , इस प्रथा को अंग्रेजों ने 1819 ईस्वी में बंद करवाया।
   8-  चरक पूजा-अंग्रेजों ने 1863 ईस्वी में बंद कराई , इसमें यह होता था कि कोई पुल या भवन बनने पर शूद्रों की बलि दी जाती थी।
   9- ब्राह्मण शूद्रों का पहला लड़का गंगा में दान करवा दिया करते थे, क्योंकि वह जानते थे कि पहला बच्चा हृष्ट- पुष्ट होता है, इसीलिए  उसको गंगा में दान करवा दिया करते थे, अंग्रेजों ने इस प्रथा को रोकने के लिए 1835 में एक कानून बनाया था।
   10- शूद्रों को अंग्रेजों ने 1835 ईस्वी में कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया था, इससे पहले शूद्र कुर्सी पर नहीं बैठ सकते थे।
11.अंग्रेजों ने सबके लिए शिक्षा का दरवाजा खोले।पहले शूद्र जातियों(आज की ओबीसी,एससी, एसटी) व सभी वर्ण की महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था।
12.अंग्रेजों हिन्दू वर्ण की शूद्र जातियों को सरकारी सेवाओं में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट के माध्यम से प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था किया।
    तभी तो हिन्दू(ब्राह्मण) खतरे में पड़ गया।ब्राह्मणों(चित्तपावन/नगपुरिया ब्राह्मणों ने) ने 1920 में ब्राह्मण महासभा,1922 में हिन्दू महासभा व 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बनाया।ब्राह्मणों ने अंग्रेजों के खिलाफ भड़काना शुरू किया।अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया।विचारणीय है कि 712 से लेकर अंतिम मुग़ल शासक तक हजार वर्ष से अधिक समय तक मुसलमानों का शासन रहा,तब हिन्दू खतरे में नहीं रहा, जब अंग्रेज भारतीय हिन्दू समाज की ब्राह्मणी बुराइयों,रूढ़ियों को खत्म कर सबके भलाई का काम शुरू किए,तो हिन्दू खतरे में पड़ गया।इसे पिछड़े-अति पिछड़े-आदिवासी वर्ग को समझने की जरूरत है।
    अतः सर्वप्रथम तो अपना इतिहास जानो, और ब्राह्मण धर्म की सच्चाई/भेदभावपूर्ण कमियों को जानो। अपने बच्चों और भावी पीढ़ी का सही मार्गदर्शन करें। उन्हें सही शिक्षा दें, जिससे वे अपने भविष्य को उज्वल बना कर समाज को उन्नति के पथ पर अग्रसर कर सकें।
          !!!जय भीम-नमो बुद्धाय!!!
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