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चंद्रगुप्त का पिता धनंनन्द भी बौद्ध राजा  


 


 


आपने आज तक यह पढ़ा होगा कि चाणक्य ने चंद्रगुप्त नाम के एक दासी पुत्र को सम्राट बना दिया था ,ब्रह्मणिक ग्रन्थो के अनुसार मुरा नाम की दासी से उत्पन्न चंद्रगुप्त को ब्राह्मण चाणक्य ने नंदवंश को नष्ट  करने के लिए तैयार किया और अंत में नंदवंश की समाप्ति के बाद मगध की गद्दी पर बैठाया ।


किन्तु, सिंहल ग्रन्थो के अनुसार बिम्बिसार ( 567- 551 ईसापूर्व) मगध का प्रथम ऐतिहासिक शासक था जो बौद्ध था ,उसके बाद उसका उत्तराधिकारी  अजातशत्रु हुआ फिर उदई , शिशुनाग ,काकवरणा, महापद्यनंद , धननंद उत्तराधिकारी बने । धनंनन्द का पुत्र हुआ था चंदगुप्त जिसके बारे में भ्रंति फैलाई गई की उसे चाणक्य(कौटिल्य) ने सिंहासन पर बैठाया।


चंदगुप्त से पहले महापद्यनंद ( 363-341 ईसापूर्व) के समय के  पाटलिपुत्र में पांच बौद्ध स्तूप थे जिसका जिक्र चीनी यात्री ह्वेनसांग ने जिक्र किया है , अर्थात महापद्यनंद बौद्ध था और पाटलिपुत्र में उसने पांच बौद्ध स्तूपो का निर्माण करवाया था।


चंद्रगुप्त का पिता धनंनन्द भी बौद्ध राजा  ही था ,फिर चन्र्दगुप्त कैसे दासी पुत्र हुआ ? चंद्रगुप्त को अपने पिता की विशाल सेना मिली थी जिससे उसने थोड़े समय में ही गुजरात विजय कर लिया था ।


चंद्रगुप्त का उत्तराधिकारी हुआ उनका पुत्र बिंदुसार बौद्ध धम्मी था , उसका पुत्र हुआ अशोक । 


अब यह कहा जाता है कि अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया था , यह सरासर झूठ है । रोमिला थापर भी यह कहती हैं कि कलिंग युद्ध की विभीषिका से दुखी होकर सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था यह सही नही है क्यों की उस युग में बौद्ध धर्म प्रचलित था और अशोक के परिवार में बौद्ध  धर्म बिम्बिसार के समय से था अतः धर्म परिवर्तन करने जैसी कोई बात नहीं थी।


अशोक के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने 99 सौतेले भाइयों को मार के गद्दी हासिल की थी जबकि लामा तारानाथ ने अपने ग्रन्थ ' बौद्ध धर्म का इतिहास' में लिखा है कि अशोक के 6 सौतले भाई थे और अशोक ने उन्हें  धम्म  महापात्र नियुक्त किया हुआ था अतः अशोक द्वारा 99 भाइयों को मारने की कथा झूठी साबित हो जाती है।


रोमिला थापर अपनी पुस्तक ' अशोक एंड डिक्लाइन ऑफ मौर्येज' में कहती हैं कि तिष्यरक्षिता( तिस्सरछिता )  कारबाकी जो तीवर की माता थी उसने पटरानी बनने के बाद अपना नाम तिष्यरक्षिता रख लिया था । अतः यह कहानी की तिष्य रक्षिता पटरानी की सेविका थी और पटरानी की मृत्यु हो जाने के पर सम्राट अशोक की मृत्यु पूर्व उसने पटरानी बन कर जादू से बोधि वृक्ष सुखा दिया था तथा कुणाल पर असक्त हो गई थी और इच्छा पूर्ति न होने के बाद कुणाल की आँखे निलवा दी थी कपोल कल्पित है।


सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मगध साम्राज्य दो भागों में बंट गया था , पश्चिमी भाग जिसमे गांधार , कश्मीर, सिंध, पंजाब शामिल थे उसका शासक कुणाल था और शेष साम्राज्य का शासक उसका पुत्र दशरथ ।


तब ये 'चाणक्य' बीच में कैसे घुसाया गया? आप समझिये कि चाणक्य एक काल्पनिक पात्र था जिसे चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे ऐतिहासिक पात्र के साथ आरोपित किया गया।


 


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