एक पुरानी कहानी है। एक दिन एक बूढे आदमी ने एक बढिया सी बछिया खरीदी।एक ठग ने उसे लेने की ठान ली। उसने उसके गुजरने वाले रास्ते पर आगे थोडी थोडी दूर पर अपने दो बेटो को बिठा दिया और आगे खुद जाकर बैठ गया।
बूढा जब वहां पहुंचा तो उस पहले लडके ने कहा। बाबा राम राम! बाबा इस कुत्ते को क्या खरीदा है जो इसके गले में रस्सी बांधे लिये जा रहे हो?
बूढा चौक कर बोला ये गाय की बछिया है इसे कुत्ता क्यों बोला?
अरे बाबा लगता है आपको मोतियाबिंद है साफ दिखाई नहीं देता यह सफेद वाला कुत्ता ही है जिसे किसी नै आपको बछिया बताकर ऊंचे दाम पर बेंच दिया।
बूढे को कुछ संदेह हुआ रुककर बछिया का गौर से निरीक्षण किया और चलदिया।
कुछ दूर जाने पर दूसरे ठग ने सामने आकर टोका। अरे बाबा ये कुक्कुर कहां लिये जा रहे हो?
तुम्हे भी ये कुत्ता दिखाई देता है। ये गाय की बछिया है बाजार से खरीद कर लाया हूं। बूढे ने कहाअभी पीछे मिला एक आदमी भी यही बोल रहा था।
अरे एक क्या.हजार आदमी देखेंगे सभी कुत्ते को कुत्ता ही कहेंगे। आपकी नजर कमजोर होने का फायदा उठाकर किसी ठग नै बछिया बताकर कुक्कूर बेंच दिया।
अब बूढे का संदेह पक्का होनै लगा तो क्या यह कुत्ता ही है? उसने रुककर बछिया का फिर से निरीक्षण किया फिर आश्वस्त हो चल दिया।
अभी सौ मीटर ही आगे चला था कि वही ठगों का बाप आगे आकर रामजोहार करके बोला भाई आपका कुत्ता बडा प्यारा है कहां से लाये।
इतना सुनते ही बूढें का संदेह और गहराया। बोला तो क्या कुत्ता ही है?मैंतो इसे गाय की बछिया जानकर खरीदकर लाया हूं।
जी बिल्कुल ये कुत्ता ही है किसी ने आपको ठग लिया है।
बूढे नै यह सोचकर कि जब तीन तीन लोग कुत्ता बता रहे है तो सच ही होगा सभी तो झूंठ नही बोल सकते, मान लिया कि सचमुच यह कुत्ता ही हैऔर गुस्से मे बेचने वाले को गालियाँ देते हुए उसे वहीं छोडकर आगे बढ गया।
ठीक ऐसी ही स्थिति हमारे देश की है। सरकार, सरकारी पार्टी (भाजपा) और मीडिया ये तीन ठग है जो मूलनिवासी बहुजनों को ठगने के लिए एक स्वर में निरा झूंठ बोलते है। हमारे लिए जो अच्छा है उसै बुरे रूप में पेश करते है और हम मान लेते है। जो अनावश्यक है हमे बर्बाद करनेवाला है उसे बहुत अच्छा बताकर तीनो पेश करते हैऔर हम उसे सही और जरूरी मान लेते हैं।
चुनाव में बहुजनों के लिए जरूरी था शिक्षा स्वास्थ्य विकास पर वोट देना।लेकिन तीनो ठगों ने मुसलमान पाकिस्तान आतंकवाद मिथ्या राष्ट्रवाद को एक स्वर में ऐसा परोसा कि बहुजनों ने उसे सच मान लिया।
तत्काल में जेएनयू सबसे ज्वलंत उदाहरण है। गरीबो की उच्च शिक्षा का एक मात्र यह संस्थान फीस बढाकर गरीबों की पहुंच से दूर किया जा रहा है।तीनों ठग इसे देशद्रोहियो के अड्डे के रूप मे होने का महामिथ्या प्रचार कर रहे हैं और स्वयं तमाम गांव के गरीब इस प्रचार पर ताली बजाते हुए अपने ही पांव कुल्हाडी मार रहे है।
इसका कारण है बहुजनों के ज्ञानचक्षुओ पर पडा हुआ धर्म और पाखंड का मोतिया बिंद। जिसके कारण उनकी शत्रु मित्र हित अनहित की अपनी स्वतंत्र पहचान ही खत्म हो गयी है। वै उसे ही सच मातें है जो तीनो ठग एक स्वर में बोलकर बताते है।
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