#प्रियंका रेड्डी तुम मेरी हमनाम थीं। आज जब लोग तुम्हारे लिए #RIPPriyanka #StandWithPriyanka लिख रहे हैं, तो मन में सिहरन उठ रही है। भरी भीड़ में भी जब किसी को 'प्रियंका' कहते हुए सुनती हूँ तो बरबस ही उस तरफ देखने लगती हूँ, 'प्रियंका' लिखा हुया पढ़ती हूँ..तो लगता है मेरे लिए लिखा गया है। आज सोचने पर मजबूर हूं और पूरी गंभीरता के साथ कह रही हूं कि.. प्रियंका तुम जिस हैवानियत का शिकार हुई ..उसके लिए तुम्हारा/हमारा परिवार, समाज, परवरिश, सोच, जीवनशैली, संस्कार, भीरूता सब जिम्मेदार हैं। तुमने भी बचपन से यही सुना होगा ना कि अच्छे से पढ़ो नहीं तो अच्छा कैरियर नहीं बनेगा। उछलो-कूदो कम, ये अच्छे बच्चों की निशानी नहीं है। धीरे बात करना सीखो, तुम्हें दूसरे के घर जाना है। सलीके से बैठना, मुस्कराना, अभिवादन करना सीखो क्योंकि तुम एक सभ्य/पढ़े-लिखे परिवार से हो। हमें भी यही सिखाया गया है।
लेकिन कभी तुम्हारे माता-पिता ने यह नहीं कहा होगा कि आत्मरक्षा करना सीखो, क्योंकि कुछ बनने के लिए या कुछ बन जाने के बाद सुरक्षित और जीवित रहना भी जरूरी है।
कभी तुम्हें यह नहीं कहा गया होगा कि मजबूत बनो (मन से भी और तन से भी) ताकि वक़्त पड़ने पर तुम अनजान दरिंदों से जूझ पाओ।
कभी किसी ने यह नहीं कहा होगा ना कि तेज दौड़ना सीखो, जोर से चिल्लाना सीखो, पंच मारना और लात चलाना और दुश्मन की आंख नोचना सीखो ताकि जब कोई तुम्हे गन्दी नियत से छूना चाहे तो तुम उसे जहन्नुम में पहुंचा सको।
गलती हमारी शिक्षा व्यवस्था की भी है, समाज की उस सोच की भी है जो हमें अंदर से मजबूत बनाने के बजाए खोखला बना रही है। लड़कों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के बजाए सेक्स एडुकेशन पर जोर दिया जा रहा है। उनके चरित्र निर्माण की चिंता किसी को नहीं है।
ठीक इसी तरह लड़कियों को ये बताने के बजाए की वो झांसी की रानी से कहीं कम नहीं, उन्हें पर्दे में रहने वाली कोमलांगी होने का अहसास करवाया जा रहा है। अरे जब उनकी परवरिश रानी झांसी लक्ष्मी बाई की तरह नहीं करोगे, तब तक उन्हें अपनी शक्ति का अहसास कैसे होगा?
अब भी देर नहीं हुई है, हर उस पिता को, हर उस मां को..जिसकी सन्तान कन्या है, उसकी परवरिश में, दैनिक क्रियाकलाप में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण शामिल करें। उन्हें वीरांगनाओं के शौर्य से परिचित करवाएं। उन्हें अहसास करवाये कि वे मन और तन से कितनी मजबूत हैं। उन्हें हर परिस्थिति से लड़ना सिखाएं। सरकारें भी पाठ्क्रम में आत्मरक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल करें।
और अंत में..प्रियंका तुमने भी अंतिम क्षणों में संघर्ष किया होगा। लेकिन अफसोस कि हमारे देश में हर अपराध को सांप्रदायिक रंग देकर उसकी तीव्रता को कम करने की कोशिश की जाती है। बलात्कारी हिन्दू था या मुस्लिम..। इस पर बहस होने के बजाए बलात्कारियों को सरेराह फांसी देने का क्रम शुरू होना चाहिए। अपराधी भी बखूबी जानने लगा है कि बलात्कार करने के बाद देश का फोकस उस पर नहीं बल्कि सम्प्रदाय पर होगा। वह ये भी जानने लगा है कि पुलिस भी केवल मामले को सांप्रदायिक रंग से बचाने की कोशिश करेगी। कुल मिलाकर जघन्य, पाश्विक, शर्मनाक अपराध केवल साम्प्रदायिक चर्चा का विषय बनकर रह जायेगा।
प्रियंका तुम्हें शांति मिले, तुम्हारे परिवार को सम्बल मिले और अपराधियों को सज़ा मिले..ईश्वर से यही प्रार्थना है और सच्चे दिल से है। #प्रियंकाकौशल #PriyankaReddy #PriyankaKaushal #Hyderabad #हैदराबाद
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