सिख कौन है ?????
सिख वो है जो सिर्फ श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के आदर्शों पर चलकर अपनी जिंदगी बतीत करे और मानवता को ही असल धर्म समझे
सिखों के भगवान कौन है ????
सिख एक सचे भगवान को मानते है जिसका कोई रूप रंग आकार नही है जो जन्म मरण से परे है जो न किसी से नफरत करता है ना किसी से डरता है वो एक है बस एक उसके जैसा कोई नही ।
क्या सिख धर्म हिन्दू धर्म का ही अंग है ???
नही । सिख धर्म हिन्दू धर्म या किसी भी धर्म का हिस्सा नही है या अंग नही है ।।। सिख धर्म गुरू नानक देव जी के द्वारा चलाया गया और उसे बाकी के गुरूओं ने उसको उसकी चरम सीमा तक पहुंचाया अंत गुरु गोविंद सिंघ जी ने सीखो को अमृत शक्का कर खालसा बनाया ।
क्या सिख किसी देवी देवता एवं अवतार मैं विश्वास करते है या उनको पूजते है या पूज सकते है ???????
नही । सिख किसी देवी देवता या अवतार मै विश्वास नही करते । न उनको पूजते है न ही पूज सकते है इसका कारण है गुरु का उपदेश गुरु का हुक्म गुरु का फ़रमान गुरु की वाणी जो सिखाती है ईश्वर एक है जिसका कोई रूप रंग आकार नही है जो समय से प्रेह है जो न मरता है न जन्म लेता है जो सिख जाने अनजाने देवी या देवता को पूजते है वो सिख गुरु का और ईश्वर का अपमान करते है वो लोग गुरु के सिख नही बोले जा सकते
जो सिख गुरु का नही वो किसी का नही हो सकता !!!
क्या सिख मूर्ति पूजा करते है या कर सकते है?????
नही ।। सिख मूर्ति पूजा नही कर सकते उसका कारण है ईश्वर या भगवान का कोई रूप नहीँ है जिसका कोई आकार नही है उसकी कोई मूर्ति नही है वो सब जगह है
जो सिख गुरूओं की नख्ली तस्वीरों को पूजते है या माथा टेकते है वो खुद अपने गूरु का अपमान करते है क्युँकि गुरु वाणी है यानी गुरू ग्रंथ साहिब है गुरु साहिब ने किसी भी मूर्ति को माथा टेकने या पूजने को मना किया है
क्या सिख नवरात्री का व्रत या किसी भी देवी देवता का व्रत रख सकते है ????
नहीँ । सिख ना तोह नवरात्री न करवाचौथ ना शिवरात्रि ना ही किसी भी देवी देवता का व्रत रख सकते है और ना किसी होर दिवस पर॥ गुरु की वाणी मैं इन सब चीजो का खंडन किया गया है
गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी कहती है !!
छोड़े अन करे पाखंड ना ओह्ह सुहागन ना ओह्ह रनड ॥॥॥
व्रत न रहेऔ ना मैं रम्दाणा ॥ तीस सेवेय जो रखेय णिध।ण। ॥॥॥
क्या सिख की कोई जात या गौत्र होता है ???
सिखों की कोई जात या गौत्र नही होता । गुरु नानक देव जी ने जात पात का खंडन करते हुए हि सिखों को जात पात से मुक्त किया यानि उस वक्त के नीची जाती के लोगो को सिख का नाम दिया होर छूया छूत का खंडन भी कीया अंत : गुरू गोविंद सिंघ जी ने पुरष को ॥सिंघ॥ यानि शेर और स्त्री को ॥कौर॥ यानि राजकुमारी बक्शा । जिससे सभी लोग एक बराबर हो कोई उच नीच जैसी चीज़ ना रहे
जो सिख अपने नाम के साथ कोई भी जात का इस्तेमाल करते है वह लोग गुरू का अपमान करते है सिर्फ सिंघ या कौर लगाया जा सकता है
यह मेसेज पढ़ने के लिये शुक्रिया ।।
यह मेसेज किसी धर्म के खिल्लाफ नही है इस मेसेज का उधेश्य सिर्फ सिख धर्म की जानकारी देना है एवं भटके सीखो को समझाना है ॥॥॥
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धन्यवाद ।।
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