*28,नवंबर,1890*
*वो थे इसलिए आज हम हैं !*
इतिहास के पन्नों से
*— भारत के शोषितों वंचितों पिछड़ों,बहुजन क्रांति के ध्वजवाहक,भारत में सामाजिक क्रांति के पितामह Father of the Indian Social Revolution,मानवता के प्रचारक महिलाओं में शिक्षा अलख जगाने वाले सामाजिक,शैक्षणिक क्रांति के पुरोधा राष्ट्रपिता,बहुजन नायक,शिक्षा के अग्रदूत राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिवाराव फुले जी के परिनिर्वाण दिवस पर शत्-शत् नमन एंव विनम्र श्रद्धांजलि —*
— जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं —
*— राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी (Jyotirao Govindrao Phule ) ऐसे योद्धा,महामानव का नाम है,जिन्होंने शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की उपेक्षितों को उनका हक दिलाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया —*
— राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपना पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर स्त्री और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता दिया —
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— राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी ने कहा है —
*— विद्या बिना मति गयी, मति बिना नीति गयी,नीति बिना गति गयी, गति बिना वित्त गया,वित्त बिना शूद गये, इतने अनर्थ, एक अविद्या ने किये —*
— राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —
*— भारत के शोषितों वंचितों पिछड़ों,महिलाओं में शिक्षा अलख जगाने वाले सामाजिक क्रांति की पुरोधा शिक्षा की कभी न बुझने वाली क्रांतिकारी मशाल थे राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी —*
— राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी ने शोषितों वंचितों,पिछड़ो,महिलाओं को भेदभाव,पांखडवाद से मूक्ति दिलाने के आजीवन संघर्ष किया और शिक्षा की ज्योति जलाई —
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*— साथियों जातिगत भेदभाव पांखडवाद को बढाने वालों के खिलाफ वास्तविक और ठोस लड़ाई छेड़ने वालों में महात्मा ज्योतिबा फुले जी का उल्लेखनीय नाम है —*
— शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा —
*— ऐसे महामानव मानवता के पुजारी को शत्-शत् नमन —*
— शिक्षा के असली प्रचारक ज्योतिराव फूले जी थे *और प्रथम महिला शिक्षा का विद्यालय की स्थापना फुले साहब की ही देन है —*
*— महात्मा ज्योतिबा फुले जी ने 100 साल पहले ही खोल दिए थे 18 महिला स्कूल —*.
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— महात्मा ज्योतिबा फुले की मृत्यु सन् 1890 में हुई. तब सावित्रीबाई ने उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिये संकल्प लिया माता सावित्रीबाई की मृत्यु 10 मार्च 1897 को प्लेग के मरीजों की देखभाल करने के दौरान हुई —
*— उनका पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता. उनकी एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता है जिसमें वह सबको पढ़ने लिखने की प्रेरणा देकर जाति तोड़ने और जातिगत मानसिकता से ग्रस्त ग्रंथों को फेंकने की बात करती हैं —*
— जाओ जाकर पढ़ो-लिखो, बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती,काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो,ज्ञान के *बिना सब खो जाता है, ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते है इसलिए, खाली ना बैठो,जाओ, जाकर शिक्षा लो,दमितों और त्याग दिए गयों के दुखों का अंत करो, तुम्हारे पास सीखने का सुनहरा मौका है,इसलिए सीखो और जाति के बंधन तोड़ दो, जो ग्रंथ तुम्हें गुलामी के लिए बाध्य करते हों उन्हें जल्दी से जल्दी फेंक दो —*
— क्या आप लोगों को पता है राष्ट्रमाता सावित्रीबाई जी ने उन्नीसवीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया —
*— एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए ,बहुजन महापुरुषों, गुरूओं,संत,अमर शहीदों की कुर्बानी के कारण ही आज हम सभी आजाद हैं ! उनकी कुर्बानी को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए,लेकिन आज भी पिछड़े,शोषित, आदिवासी समाज गरीबी अशिक्षा के अभाव में गुलामी का जीवन जी रहे हैं,इसके हम लोग दोषी है,बाबा साहेब आंबेडकर जी ने हमें वोट का अधिकार दिलाया क्यूं नहीं हम लोग अपने वोट की ताकत से ऐसी सरकार बनाये जो हमारे बारे में सोचें समनता समानता की बात करें —*
— सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,मानवता की प्रचारक राष्ट्रमाता प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जी & राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं —
*— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए सामाजिक क्रांति की अग्रदूत,मानवता की प्रचारक राष्ट्रमाता प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जी & राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था —*
— सच अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
*— साभार-बहुजन समाज और उसकी राजनीति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,विकिपीडिया—*
―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया !
―इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए —
*―ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो —*
―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है !
*―साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था —*
―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
*―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"*
―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
*―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम —*
―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
― इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !
*―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —*
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं अमित गौतम जंनपद रमाबाई नगर,कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !
*अमित गौतम*
युवा सामाजिक
कार्यकर्ता
*बहुजन समाज*
*जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर*
सम्पर्क सूत्र-9452963593
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