एक मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाला (कुम्हार) ईश्वर से कहता है....._
⚘_"हे प्रभु तू भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ,_
⚘_तूने मुझ जैसे असंख्य पुतले बनाकर इस धरती पर भेजे हैं,_
⚘_और मैंने तेरे असंख्य पुतले बना कर इस घरती पर बेचे हैं।_
⚘_पर ईश्वर उस समय बड़ी शर्म आती है, जब तेरे बनाये हुए पुतले आपस में लड़ते हैं_,
⚘_और मेरे बनाये हुए पुतलों के सामने लोग शीश झुकाते हैं"_.. 🙏🙏
*ध्यान से पढ़े कितना बड़ा सच है.*
टिप्पणियाँ