🌻 धम्म प्रभात 🌻
⏩मूर्ख और पंडित के लक्षण ⏪
एक समय भगवान श्रावस्ती में अनाथपिण्डिक के द्वारा बनाये गए जेतवनाराम में विहार करते थे । वहां भगवान ने भिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा -
" भिक्षुओं, जितने भी भय उत्पन्न होते हैं, वे मूर्ख से ही उत्पन्न होते है, पंडित से नही । जितने भी उपद्रव उत्पन्न होते है, वे मूर्ख से होते है, पंडित से नही । जितने भी खतरे उत्पन्न होते है, वे मूर्ख से ही उत्पन्न होते है, पंडित से नही ।
कर्म ही मूर्ख का लक्षण है, अर्थात कर्म से ही मूर्ख पहचाना जाता है ।
भिक्षुओं, कर्म ही पंडित का लक्षण है, अर्थात कर्म से ही पंडित पहचाना जाता है ।
भिक्षुओं, इन तीन बातों से युक्त व्यक्ति को मूर्ख समझना चाहिए ।
✅कायिक-दुश्चरित से,
✅वाचिक-दुश्चरित से,
✅मानसिक-दुश्चरित से ।
भिक्षुओं, इन तीन बातों से युक्त व्यक्ति को पंडित समझना चाहिए ।
🌺कायिक-सुचरित से,
🌺वाचिक-सुचरित से,
🌺मानसिक -सुचरित से ।
इन -इन मूर्ख और पंडित के लक्षण जानकर, इन लक्षणों के परिणाम जानकर मूर्खों से बचना चाहिए और पंडितों का सेवन करना चाहिए ।
भगवान ने कहा है -
"असेवना च बालानं , पंडितानञ्च सेवना" -
मूर्खों की संगति न करना, बुध्दिमानो की संगति करना ।
👊 संकल्प 👊
"इमिना पुञ्ञखम्मेन मा मे बालसमागमो ।
सतं समागमो होतु याव निब्बानपत्तिया ।।"
- इस पुण्य कर्म से निर्वाण प्राप्त करने के समय तक कभी मूर्खों से मेरी संगति न हो, सदा सत्पुरूषों की संगति हो ।
नमो बुद्धाय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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