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राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) व नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान में शामिल हों


 


 


 


*राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) व नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान में शामिल हों*


*हम, भारत के नागरिक, प्रताड़ना के शिकार शरणार्थियों को सांप्रदायिक आधार पर नागरिकता प्रदान करने की व्यवस्था करने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) 2019 को पूरी तरह ख़ारिज करते हैं।*


*क्योंकि* यह विधेयक भारत के संविधान के प्रावधानों व मूल्यों का उल्लंघन करता है। क्योंकि ये धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने की बात करता है, न कि जरूरत और वैधता के आधार पर।
*क्योंकि* यह मानवाधिकारों के स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करता है।
*क्योंकि* हमारा संविधान मानता है कि जो इस देश में पैदा हुआ वह भारत का नागरिक है, लेकिन इस विधेयक के बाद भाजपा सरकार का घोषित अगला कदम *राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC)* है, जिसके तहत देश में पैदा होने वाले और पीढ़ियों से इस देश में रहने वालों को भी अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी। जिसके लिए दर दर भटकना पड़ेगा और देश के नागरिक अपनी नागरिकता के लिए भ्रष्ट सरकारी तंत्र पर निर्भर होना पड़ेगा। नोटबंदी की तरह एक बार फिर पूरा देश लाइन में खड़ा होगा।
*क्योंकि* भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत कोई भी व्यक्ति जन्म या वंश या देशीकरण या पंजीकरण के ज़रिए भारत की नागरिकता का हक़दार बनता है। लेकिन देश के धर्मनिरपेक्ष—संवैधानिक ताने-बाने को नष्ट करके उसकी जगह हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिश करने वाली जन-विरोधी ताकतें नागरिकता की परिभाषा बदल कर अपना एजेंडा देश पर थोप रही हैं।
*क्योंकि* नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में आए गैर-मुस्लिमों (हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध व पारसी धर्म को मानने वालों) को नागरिकता देने का प्रावधान है। देश के पड़ोस में स्थित तमाम दूसरे मुल्कों को नज़रअंदाज़ कर चुनिंदा मुुस्लिम-बहुल देशों के गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान इन मुस्लिम-बहुल देशों तथा भारत के मुस्लिम नागरिकों के प्रति सरकार के भेदभावपूर्ण नज़रिए को ज़ाहिर करता है।
*क्योंकि* केंद्र सरकार का बहाना है कि इस विधेयक से पड़ोसी मुल्कों के अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा दी जाएगी जबकि हालत यह है कि यह सरकार अपने ही देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की हरकतों के विरुद्ध कार्यवाही तो दूर संवेदनशील प्रतिक्रिया तक नहीं दे रही।  
*क्योंकि* यह विधेयक उन मुस्लिमों को भी अनदेखा करता है जिन पर मुस्लिम-बहुल देशो में ही अत्याचार हो रहे हैं क्योंकि वे किसी खास सम्प्रदाय के हैं।
*क्योंकि* यह उन उन पड़ोसी देशों की समस्याओं को भी अनदेखा करता है जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक नहीं हैं और हिंसा के शिकार हैं। मिसाल के लिए, हमारे पड़ोसी मुल्क म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम, जिनको संयुक्त राष्ट्र ने इस समय का सर्वाधिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय माना है।


*इसलिए*


*हम* विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील करते हैं कि वे इस विधेयक को संसद में पारित न होने दें।
*हम सभी* भारतीय नागरिकों, समूहों, संगठनों से अपील करते हैं कि वे वर्तमान सरकार की संविधान व सांप्रदायिक राजनीति का बहिष्कार करें जो इस बिल और एनआरसी का उपयोग करके नफरत व हिंसा पर टिका सांप्रदायिक राज्यतंत्र बनाने का प्रयास कर रही है।
*हम माँग* करते हैं कि देश के वंचित तबकों के हकों पर चोट करने वाली नीतियों को तत्काल वापस लिया जाए और *धर्म व राष्ट्रीयता की नकली बहसों में देश का कीमती समय व ऊर्जा बरबाद करने की बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, पर्यावरण संकट, कुपोषण, पितृसत्ता व जल-जंगल-ज़मीन से बेदखली जैसे मसलों पर ध्यान दिया जाए।*


*मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच (MPDRF)*
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 *MPDRF आपसे अपील करता है कि नीचे दिए गए व्हाट्सएप नंबर अथवा ईमेल पर 12 दिसंबर तक 12 बज़े के पहले अपनी सहमति जताकर इस हस्ताक्षर अभियान में शामिल हों।*


*व्हाट्सएप:* 9981773205 (विजय), 
7869128784 (सचिन)
*ईमेल:* mpdrf2019@gmail.com


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