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दो बार पढने पर ही समझ आ सकता है

 


 


```*🙏दो बार पढने पर ही समझ आ सकता है 🙏


मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में एक अदभुत घटना घटी है, दीपक शर्मा नाम का ब्राह्मण गल्फ कंट्री में नौकरी करता था, 24 मार्च को कोरोना सहित भारत में कदम रखा !


पता नही एयरपोर्ट से घर तक कितने लोगों को संक्रमित किया होगा. घर आकर उसने अपने माता पिता को संक्रमण दिया. कुछ दिन बाद लक्षण दिखाई देने पर जांच हुई तो कोरोना वायरस की पुष्टि हुई,


ज़िला प्रशासन ने पूरे परिवार को 15 दिनों तक सरकारी अस्पताल में QUARANTINE में रखा. ठीक होने पर यह ब्राह्मण परिवार अपने मोहल्ले में वापस लौटा. लेकिन मोहल्ले के लोग और पडोसी फिजिकल दुरी के साथ सामाजिक दुरी अर्थात सोशल डिस्टेंस का कड़ाई से पालन करने लगे !


लोग दूर दूर रहने लगे, कोई भी इनके घर के पास से भी नही भटकता.... लोग सही तो कर रहे थे बीमारी रोकने का येही तरीका वाजिब भी है लेकिन ब्राह्मण परिवार को यह सोशल डिस्टेंस भेद भाव अर्थात अमानवीय व्यवहार लगा,


दुखी होकर... रोने लगे... शिकायत करने लगे हमसे भेद भाव नही किया जाए, यह अमानवीय व्यवहार है यातना है शोषण है. ब्राह्मण मिडिया और उत्तर भारत के बनियों के अखबारों ने इस खबर को फ्रंट पेज पर छापा "कोरोना से ठीक हो चुके परिवार से भेद भाव" ?


मुझे समझ नही आता मोहल्ले वाले और पडोसी गलत कैसे हुए ? वह लोग तो सोशल डिस्टेंस का पालन कर रहे थे, वही सोशल डिस्टेंस जिसका पालन ब्राह्मण समाज हज़ारों साल से करता आ रहा है... बड़े आबादी को अछूत दलित चंडाल कहकर अपमानित करते हैं !


कुछ दिनों का भेद भाव सहन नही कर पाए, सोचिए हमारे पूर्वजों ने हजारों साल तक इनके बनाए सोशल डिस्टेंस का अपमान सहन किया ? आज भी मौका मिलते कान में जनेऊ चढ़ाकर अपमानित करते हैं !


"शिवपुरी मॉडल" योग्य मॉडल है. इस मॉडल को पुरे देश में अपनाया जाए. ब्राह्मणों से हमे भी वही व्यवहार करना चाहिए जो वह हमसे करते हैं. उन्हें नीच अछूत घोषित कर उनसे दूर रहना चाहिए !


मोहल्ले वालों आप महान हो... लगे रहो !
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