सुप्रीम कोर्ट जज अरुण मिश्रा पर महाभियोग चलाने के लिए Circumstantial Evidence अर्थात गतिविधिक सबूत मौजूद है !
कैसे भूमि अधिग्रहण मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचाकर किसानों का नुकसान किया. अडानी और अंबानी से जुड़े हुए हर मामले की सुनवाई जज अरुण मिश्रा क्यों करते हैं ?
उनके हर फैसले में अडानी अंबानी को आर्थिक लाभ क्यों मिलता है और अन्य टेलीकॉम कंपनियों को हानि क्यों होती है ?
चातुर्वर्ण व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अरुण मिश्रा के कुछ विवादास्पद फैसले.
1) SC ST एक्ट को कमजोर किया.
2) 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली लागू करवाकर ओबीसी एससी एसटी शिक्षकों के लिए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद कर दिया.
3) आरक्षण को मौलिक अधिकार मानने से इंकार कर दिया, और राज्य के अधीन कर दिया आरक्षण देना है या नही.
4) दिल्ली में गुरु रविदास मंदिर को ध्वस्त करने का फैसला सुनाया.
5) आरक्षण के समीक्षा पर फैसला दिया.
6) आदिवासी बहुल इलाकों में आदिवासी समुदाय को शिक्षक भर्ती में मिला 100% आरक्षण खत्म कर दिया.
7) बहुजन बुद्धिजीवी आनंद तेलतुंबड़े को जेल और दंगाई अर्नब गोस्वामी को राहत. भूखे प्यासे मजदूरों के सुनवाई के लिए ऐसे जजों के पास समय नही है ?
8] एक सम्मलेन में भाषण देते हुए इसने कहा पीएम मोदी दूरदर्शी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं. इसे आप रिटायरमेंट की प्लैनिंग कह सकते हैं.
अरुण मिश्रा बिना परीक्षा दिए, बिना किसी प्रतियोगिता को पास किए सीधे हाई कोर्ट का जज बने और फिर पैराशूट से उतार कर सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिए गए !
सुप्रीम कोर्ट में 99% जज एक ही जाति के हैं !
यह लोग बहुसंख्यक आबादी ओबीसी एससी एसटी और माइनॉरिटी के लिए खतरा बनते जा रहे हैं !
एक ब्राह्मण जज के फैसले को सिर्फ पार्लियामेंट पलट सकता है, वहां भी हमारा बहुमत नही है !
क्या कुछ मुट्ठी भर जज हमारा मौलिक अधिकार खत्म कर रहे हैं, क्या हम ग़ुलाम बनने के रास्ते पर हैं ?
✍Kranti Kumar
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