*~~~~~चरागों ने यहाँ अब~~~~~*
*~~~आँधियों पर जुल्म ढाया है~~~*
*उठी उन आँधियों के दिन, कभी न भूल पायेंगे।*
*करेंगे याद जब भी, आँख अपनी ही रुलायेंगे।*
अभी तो नौजवानों ने, उमर सारी खपायी है।
कई वर्षो से जागे हैं, कहाँ फिर नींद आयी है ?
*बढ़ी है उम्र शिक्षा का, यहाँ विस्तार पाया है।*
*नहीं है नौकरी कोई, अभी तक क्या कमाया है ?*
खिलाने फूल निकले थे, फूल बन लौट आये हैं।
बड़े ही जोश में थे, खूब नारे भी लगाये हैं।
*कहीं से ईंट पकड़ी है, कहीं रोड़ा उठा लाये।*
*समझते अश्वमेधी यज्ञ का, घोड़ा उठा लाये।*
अँधेरे में उन्हें रोना, नहीं अब रास आता है।
खुले में हर युवा अब, खून के आँसू बहाता है।
*युवा अब भूल जायें, नौकरी की बात सपना है।*
*यही है गम भरी दुनिया, नहीं अब कोई अपना है।*
उन्होंने पत्थरों का जाल, फैलाया करीने से।
नहीं है वास्ता कोई, किसी के मरने जीने से।
*अभी तो हाल खस्ता है, कहाँ हर माल सस्ता है ?*
*जो पीढ़ी आ रही उसके, नहीं अब हाथ बस्ता है।*
निरक्षर हैं निरक्षर कर के ही, वे दूर भागेंगे।
पता कुछ भी नहीं, इस देश के कब लोग जागेंगे ?
*चरागों ने यहाँ अब, आँधियों पर जुल्म ढाया है।*
*समझ लो किस तरह, अपने वतन को फिर जलाया है।*
अभी उठते बबंडर को, सभी ने हाथ में थामा।
नहीं समझे तो करना ही, पड़ेगा रोज हंगामा।
*बिना मेहनत नहीं आनंद में, अब झूम पायेंगे।*
*बने जो फूल हैं अब तक, नहीं वे फूल पायेंगे।*
*उठी उन आँधियों के दिन, कभी न भूल पायेंगे।*
*करेंगे याद जब भी, आँख अपनी ही रुलायेंगे।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
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दिनांक: 29.11.2024
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