*"राष्ट्रपिता महात्मा फुले कहते थे......"*
*मंदिर का मतलब होता है ...मानसिक गुलामी का रास्ता ...!*
*स्कूल का मतलब होता है ..जीवन में प्रकाश का रास्ता .....!!*
*मंदिर की जब घंटी बजती है तो हमें सन्देश देती है की हम धर्म, अन्धविश्वास, पाखंड और मूर्खता की ओर बढ़ रहे.... हैं ....!*
*वहीं जब स्कूल की घंटी बजती है तो ये सन्देश देती हैं ....कि हम तर्कपूर्ण ज्ञान और वैज्ञानिकता की ओर बढ़ रहे हैं ...!*
*अब तय आपको करना हैं कि आपको जाना कहाँ हैं ....?
*क्रांति ज्योति ज्योतिबा फुले स्मृति दिवस पर कोटि कोटि वन्दन.*
बहुजन नायक / मूलनिवासी नायक महात्मा ज्योति बा फूले जी
के परिणिर्वाण दिवस 28 नवंबर 2024 के अवसर पर उनको शत शत नमन एवम भावपूर्ण श्रद्धांजलि । साथियों महात्मा ज्योति बा फूले जी का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक किसान परिवार माली परिवार में हुआ था । और उनका परिणिर्वाण 28 नवंबर 1890 में पुणे में हुआ था । साथियों महात्मा ज्योति बा फूले एक बार उनके ब्राह्मण दोस्त की शादी में बारात के साथ जा रहे थे , उनको ब्राह्मणों ने बाहर करवा दिया कि तुम शूद्र होकर हमारे बराबर चलने की हिम्मत कैसे की और दूल्हे को बोले कि या तो तुम ज्योति बा फूले को अपनी बारात के साथ ले जाओ , या हमको । साथियों महात्मा ज्योति बा फूले को सदमा गया कि क्या मैं इंसान नहीं हूं , मानव नहीं हूं , जो इनकी बराबरी में नहीं चल सकता । साथियों महात्मा ज्योति बा फूले वापस घर आए और उन्होंने प्रण किया कि जो इस किस्म की व्यवस्था है , गैर बराबरी है , ऊंच नीच है , छुआछूत है , भेदभाव है , इस किस्म कि व्यवस्था में परिवर्तन लाऊंगा । साथियों उस समय बाल विवाह प्रथा थी । उनकी उम्र 13 वर्ष की थी और शादी माता सावित्री बाई फूले के साथ 9 वर्ष की उम्र में हुईं । साथियों उस समय महिलाओं को भी पढ़ने का अधिकार नहीं था । महात्मा ज्योति बा फूले ने माता सावित्री बाई फूले को पढ़ाया और प्रथम शिक्षिका बनाई । साथियों महात्मा ज्योति बा फूले ने 1 जनवरी 1848 को प्रथम स्कूल खोला जो माता सावित्री बाई फूले प्रथम शिक्षिका बतौर पढ़ाने जाने लगी । और इस प्रकार 18 स्कूलें खोली । साथियों महात्मा ज्योति बा फूले ने 1873 में सामाजिक समानता को बढ़ावा देने शूद्रों और अन्य निम्न जाति के लोगों को एकजुट करने और उनका उत्थान करने तथा जाती व्यवस्था के कारण उत्पन्न सामाजिक , आर्थिक , असमानता को दूर करने के लिए सत्य शोधक समाज ( सत्य साधकों का समाज ) नामक एक सुधार संस्था की स्थापना की । इस संस्था ने शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया । और लोगों को ब्राह्मण , पुजारियों के बिना विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया । महात्मा ज्योति बा फूले का एक प्राथमिक उद्देश्य उन लोगों को एक जुट करना था , जिन्होंने ब्राह्मण प्रधान जाती व्यवस्था के भीतर उत्पीड़न का साझा अनुभव किया था । सत्य शोधक समाज में मुख्य रूप से गैर ब्राह्मण जातियों के लोग शामिल थे । महात्मा ज्योति बा फूले ने सभी लोगों के उपयोग के लिए अपना निजी पानी का कुआं भी खोल दिया । और उन्होंने उन्होंने सभी सामाजिक वर्गों के लोगों को अपने घर में आमंत्रित किया । अपने विचारों को प्रचारित करने के लिए महात्मा ज्योति बा फूले ने किताबें , निबंध , कविताएं और नाटक लिखे । उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति गुलामगिरी ( गुलामी ) है । जो 1873 में प्रकाशित हुई थी । महात्मा ज्योति बा फूले को 1888 में महात्मा की उपाधि दी गई । उसी वर्ष उन्हें आघात लगा जिससे वे लकवाग्रस्त हो गए । 1890 में पुणे में उनका परिणिर्वाण हो गया । ऐसे महात्मा ज्योति बा फूले को शत शत नमन एवम भावपूर्ण श्रद्धांजलि । निवेदक आर . बी . खांडे जिला अध्यक्ष बहुजन मुक्ति पार्टी तहसील कसरावद जिला पश्चिम निमाड़ खरगोन मध्य प्रदेश ।
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