#सत्यशोधक_समाज ने एक निर्णय
यह भी लिया कि सत्यशोधक समाज के कार्यकर्ता ही मूलनिवासी लोगों में #सैद्धांतिक_अंधविश्वास_और_पाखंड_रहित_शादियां करवाएंगे।
मूलनिवासी लोगों कि शादियों में किसी भी #ब्राह्मण को शादी करवाने के लिए #नहीं_बुलाएंगे ,ब्राह्मण के द्वारा शादी नहीं करवाएंगे ,ना ही ब्राह्मण को दान दक्षिणा देंगे। सत्यशोधक समाज के इस #निर्णय_के_विरोध में पूना के ब्राह्मण #कोर्ट में गए और उस कोर्ट में जाकर उन्होंने कोर्ट कैस किया कि यह #ब्राह्मणों_कि_रोजी_रोटी का मामला है। और इससे ब्राह्मणों मे गरीबी बेरोजगारी बढ़ गई है। इसलिए सत्यशोधक समाज चाहे तो वह अपनी #शादियां_स्वंय_कराए परंतु शादी में जो दान दक्षिणा दी जाती थी, शादी में जो ब्राह्मणों को पैसे दिए जाते थे ।
#उतना_रूपया_पैसा_वह_सत्यशोधक_समाज_ब्राह्मणों_को_दे।
इस कोर्ट केस का नेतृत्व #रेवरेंड_तिलक नाम का एक ब्राह्मण कर रहा था ।
तो कोर्ट के द्वारा ज्योतिबा फुले को गवाही देने के लिए बुलाया गया ।राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले ने कहा जज साहब मैं रेवरेंड तिलक से मैं एक #सवाल_करना_चाहता_हूं।
जज ने कहा अनुमति है
ज्योतिबा फुले ने रेवरेंड तिलक से पूछा कि आप #अपनी_दाढ़ी_खुद बनाते हो ?
तिलक बोला हां बनाता हूं
रोज बनाते हो?
तो रेवरेंड तिलक बोला रोज बनाता हूं
क्या आपके ब्राह्मण वर्ण के लोग अपनी दाढ़ी खुद बनाते हैं ?
तिलक ने कहा बहुत सारे लोग खुद बनाते हैं
रेवरेंड तिलक नाम का ब्राह्मण तुरंत समझ गया उसने कहा जज साहब इस सवाल का इस कैस से कोई संबंध नहीं है ।
तो ज्योतिबा फुले ने कहा नहीं इस सवाल का इस पूरे कैस से संबंध है
तो जज ने कहा ठीक है अनुमति है
तो ज्योतिबा फुले ने कहा कि आप जो दाढ़ी बनाते हो, आपके ब्राह्मण जाति के लोग जो दाढ़ी बनाते हैं तो क्या आप लोग दाढ़ी बना कर #नाई_जाति के लोगों को,जिनका जातिगत कार्य, जिसका रोजगार ही दाढ़ी बनाना है, बाल काटना है ।
क्या आप #उनको_जाकर_पैसा_देते_हो?
रेवरेंड तिलक कुछ जवाब नहीं दे पाया ।
जब आप लोग दूसरों का कार्य करके उनको पैसे नहीं देते हो तो सत्यशोधक समाज आपको उनके दवारा किये गये कार्य का पैसा क्यों दे ?
इस तरह जज ने सत्यशोधक समाज के पक्ष में फैसला दिया।
इसी बात को लेकर ज्योतिबा फुले ने कहा
#बाल काटना नाई का धर्म नहीं धंधा है
#कपड़े सीलना दर्जी का धर्म नहीं धंधा है
#जूते बनाना मोची का धर्म नहीं धंधा है
इसी तरह #पूजा_पाठ करना ब्राह्मण का धर्म नहीं धंधा है
राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने ब्राह्मणों को #कलम_कसाई कहा।हमारे लोगों को लिखकर बताया कि ब्राह्मण भारत का निवासी नहीं है
विदेशी है
इसलिए मूलनिवासी राष्ट्रवाद के जनक ही राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले हैं।
DNA आधारित रिपोर्ट तो 21 मई 2001 को आई।जिसने यह साबित किया कि ब्राह्मण विदेशी है और युरेशिया उसका मूलस्थान है
ब्राह्मणों ने षड्यंत्र के तहत ओबीसी वर्ग मे जन्में सभी महापुरुषों कि किताबों को दलित सहित्य कहा
आंदोलन को दलित आंदोलन कहा।
इससे क्या हुआ
ओबीसी वर्ग ने अपने ही पुरखों को नहीं जाना, ना ही उनके संघर्ष और आंदोलन को समझा।
जैसा ब्राह्मणों ने बताया वैसा ही किया और ब्राह्मणों के पुरखा को अपना पुरखा मान बैठे
आज जो हमारे लोगों कि भयंकर स्थिति है उसका कारण यही है।
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