इस देश में नफ़रत की राजनीति करने वालों का सबसे आसान चारा मुसलमान हैं। यही कारण है कि गोमांस के नाम पर "अखलाक" की हत्या से शुरू हुआ सिलसिला आजतक जारी है , और सैकड़ों मुसलमान इस गोमांस की भेंट चढ़ गये।
हकीकत में देखा जाए तो नफ़रत की राजनीति करने वालों को गाय या गोमांस से कोई मतलब नहीं है , इन्हें मतलब केवल उस राजनीति से है जिसमें मुसलमानों की बलि होती रहे और उनके खून से सींच कर इनकी राजनीतिक फसल लहलहाती रहे।
क्योंकि गाय और गोमांस से मतलब होता तो यह फ्रीज़ में गोमांस रखने के झूठे आरोप में मार दिए गए अखलाक के उसी गांव बिसहाड़ा में प्रदर्शन कर रहे होते जहां 9 और 10 नवंबर को पुलिस ने 185 टन गोमांस बरामद कर जमीन में दबवा दिया , एक अनुमान के अनुसार पूरन जोशी के यहां ज़ब्त गोमांस के लिए करीब करीब 8 से 10 हजार गायों को काटा गया।
मगर आपने एक भी गोरक्षक , एक भी गोसेवक का इसके विरोध में बयान नहीं सुना होगा , मज़ेदार बात यह है कि गौरक्षा हिन्दू दल कार्यकर्ताओं ने ही हाईवे पर एक कंटेनर रुकवाया। इससे 32 टन मांस बरामद हुआ , इसके बाद पता चला कि ये मांस दादरी क्षेत्र में उसी अखलाक के बिसाहड़ा गांव जाने वाली रोड पर बने SPJ कोल्ड स्टोरेज में जा रहा था। वहां भी पुलिस ने छापा मारने की कार्रवाई की। कोल्ड स्टोर में 153 टन पैकिंग गोमांस बरामद हुआ।
और मज़ेदार बात यह है कि चंद किलोमीटर दूर ही डासना मंदिर में बैठे स्वामी यति नरसिंहानंद को भी 153 टन बोनलेस गोमांस की बरामदगी पर कोई दुख नहीं हुआ, ना उनकी भुजाएं फड़फड़ाईं , ना गाय माता खतरे में आईं ना हिंदू खतरे में आया।
मामला पंडित पूरन जोशी के कोल्डस्टोरेज में रखे 153 टन गोमांस का था तो चुप्पी साध ली गयी , उसी बिसहाड़ा गांव में जहां फ्रिज में 250 ग्राम गोमांस होने की झूठी अफ़वाह पर अखलाक की पत्थरों से मारकर हत्या कर दी गई और उसी गांव में 8-10 हज़ार गायों को काट कर 153 टन गोमांस के पकड़े जाने पर हर जगह सन्नाटा है।
दरअसल यही बहुत बड़ा सबूत है कि इन्हें गाय से कोई मतलब नहीं, जगह जगह मस्जिद में मंदिर ढूंढना भी इनका धार्मिक मकसद नहीं बल्कि राजनैतिक मकसद है जिसकी साजिश में देश का मुख्य न्यायाधीश रहा एक व्यक्ति भी शामिल हैं।
दरअसल सारा मामला राजनीति और सत्ता पाने का है और इसमें सबसे अधिक मुसलमान पिस रहा है , एखलाक 250 ग्राम गोमांस के फर्जी आरोप में मारा जा रहा है और उसी गांव में 153 टन गोमांस रखने वाले वाले पूरन जोशी पर चारों तरफ़ सन्नाटा है।
यूं भी देखा जाए तो अरबी और उर्दू नाम से अपनी फर्म रखकर बीफ़ इक्सपोर्ट करने वाले भारत की टाप 10 कंपनियों के मालिक पंडित पूरन जोशी जैसे लोग ही हैं जो हिंदी बेल्ट के अतिरिक्त भारत के शेष राज्यों से गोमांस "हलाल" सर्टिफिकेट के साथ विदेश में निर्यात करतें हैं।
और इन्हीं पंडित पूरन जोशियों की बदौलत पिछले 10 वर्ष की मोदी सरकार में भारत ने साल 2023 की तीसरी तिमाही में 816 मिलियन अमेरिकी डॉलर का बीफ़ निर्यात किया और वह ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बीफ़ इक्सपोर्टर बना।
बाकी मुसलमानो का टिफिन और फ्रिज़ चेक करके उन्हें मारा पीटा जाएगा और उनकी हत्याएं कर दी जाएंगी , पंडित पूरन जोशी सुरक्षित रहेंगे।
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