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देशवासियों को गंभीरता से समझना चाहिए

 




देशवासियों को गंभीरता से समझना चाहिए महंगाई बेरोजगारी  भ्रष्टाचार घोटाला बलात्कार हत्या आत्महत्या यह सब चरम पर हैं शिक्षा एवं चिकित्सा से लोग वंचित हैं इन सभी समस्याओं के सैकड़ो उदाहरण जनता के बीच हैं इन सब का सर्वे कराना चाहिए लेकिन उपासना एवं आस्था के स्थलों के सर्वे कराए जा रहे हैं इन सबसे किसको लाभ इतिहास तो सभी के लिखे जाते हैं


 उत्तर प्रदेश संभल सर्वे ने देश में भूचाल ला दिया जिसकी गूंज विदेशो तक पहुंच गई बहराइच मुजफ्फरनगर बरेली अलीगढ़ आदि मैं इस तरह की घटनाओं की चर्चा हो रही है लगता है कि उत्तर प्रदेश को लंबे समय के लिए सांप्रदायिक माहौल में झोंकने के लिए तैयार  किया जा रहा है हिंसा से किसका फायदा बेगुनाह की खून से लथपथ लाशे दर्द से करराहते घायल लोग महिलाओं एवं लोगों का रो-रो कर अपना दर्द बयां करना इस तरह के गंभीर दृश्य बार-बार क्यों आते हैं रिपोर्टिंग या वीडियो द्वारा लगातार एक वर्ग को ही अधिकार अधिनियम किया जा रहा है अखबारों की रिपोर्टिंग डरावनी होती जा रही है एक पक्ष को हमलावर लिखने लग जाता है मीडिया धर्म की रक्षा के नाम पर राजनीति के इस लंबे प्रोजेक्ट में शामिल हो चुके हैं  दिल्ली के बड़े-बड़े संपादक बड़े-बड़े चैनलों के मालिक अखबारों के मालिक झुक गए गोदी मीडिया बना दिया तो जिले का पत्रकार किस तरह जिम्मेदारी निभा पाएगा 


   संभल में दूसरी बार सर्वे करने के आदेश क्यों दोबारा सर्वे में हिंसा क्यों सुप्रीम कोर्ट को देखना चाहिए  जिस दिन याचिका दायर हुई उसी दिन आदेश क्यों हजारों लोग सवाल उठाकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 19 नवंबर 2024 को स्थानीय कोर्ट में एक याचिका दायर होती है लिखा जाता है कि 1526 में मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद खड़ी की गई दावा किया  कि कलकी भगवान के सदियों पुराने श्री हरिहर मंदिर का है यह ऐतिहासिक तथ्य है कि कलयुग में कलकी भगवान यही अवतरित होने वाले हैं  याचिका में मांग की गई की याचिका कर्ताओं को मस्जिद के अंदर प्रवेश करने की अनुमति दी जाए  याचिका के दर्ज होने के कुछ ही घंटे के भीतर चंदौसी में सीनियर डिवीजन के सिविल जज ने आदेश जारी कर दिया एक एडवोकेट जनरल की नियुक्ति कर दी संभल का मामला कैसे हुआ सर्वे मथुरा में भी हुआ था लेकिन करोड़ों लोग समझ रहे हैं यह सरकार प्रायोजित साजिश के तहत कराई गई हिंसा है बगैर दूसरे पक्ष को सुने और एक ही घंटे में सर्वे शुरू हो जाता है 24 नवंबर को दोबारा सर्वे हुआ सर्वे की टीम के पीछे-पीछे धार्मिक नारे लगाते हुए लोग चल रहे थे क्या यह भी सर्वे की टीम का हिस्सा थे क्या यह लोग भड़काने के आरोपी नहीं हो सकते बीजेपी का पेट अभी मणिपुर से भरा नहीं है इसलिए बीजेपी ने पूरे देश को मणिपुर बनाने की ठान ली है संभल हिंसा में लगभग 5 नौजवानों की मौत हो गई सैकड़ो की तादात में लोग एवं पुलिसकर्मी घायल हो गए लगभग 3000 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं पुलिस प्रशासन इन लोगों को किस तरह गाइड करेगा बुद्धिजीवी भली भाती समझते हैं लगभग 5 करोड़ मुकदमे उच्चतम न्यायालय में पेंडिंग पड़े हैं लगभग सिविल न्यायालय में भी 5 करोड़ मुकदमे पेंडिंग है तारीख पर तारीख लगती रहती हैं पीड़ित को न्याय दोषी को सजा नहीं मिल पाती पीडि़त न्याय से वंचित कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते काटते दुनिया छोड़ जाता है


 योगी सरकार की ठोको नीति वीडियो में खाकी वर्दी पहनने वाले चिल्लाकर कह रहे हैं गोली चला दे भाजपा अपनी राजनीतिक रोटियां शेखने में कोई कसर नहीं छोड़ रही लेकिन जिन लोगों की जान चली गई दंगा क्यों हुआ उसका जिम्मेदार कौन है लोग सवाल उठा रहे हैं अगर प्रशासन भी धार्मिक सांप्रदायिक संगठनों के साथ मिल जाए एक तरफा कार्रवाई करने लग जाए तब कुछ भी नहीं बचेगा जब कोर्ट का सर्वे का आदेश प्रशासन और धार्मिक संगठनों के हाथ लग जाए और हथियार बन जाए


 राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बयानों में यूपी सरकार एवं पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है मस्जिद के नीचे क्या था 1000 साल की गुलामी उनकी बढ़ती आबादी यह सब मुद्दे जो ज्यादातर झूठ की बुनियाद पर खड़े हैं मोहन भागवत ने जून 2022 एक प्रोग्राम में कहा था हम इतिहास नहीं बदल सकते जो आज के हिंदुओं ने नहीं बनाया और जो आज के मुसलमान ने नहीं बनाया जो उस समय घटा था हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है संभल हिंसा के बाद मोहन भागवत का कोई बयान आया पता कीजिए और मोहन भागवत के बयान के बाद कभी कुतुब मीनार तो कभी ताजमहल  एक विशेष समुदाय को चुनौती दी जाती है उनके भीतर सुरक्षा का अभाव पैदा हो रहा है लेकिन इन धार्मिक संगठनों पर कोई असर नहीं पड़ा जो हर समय अलग-अलग शहरों में मस्जिदों पर मंदिर के दावे करते रहते हैं बीजेपी की सरकार इन संगठनों पर लगाम नहीं लगाती इन दावों को बढ़ावा दिया जा रहा है जबकि 1991 का उपासना स्थल कानून साफ-साफ नए और पुराने दावों को रद्द करता है  मस्जिदों के नीचे क्या है इसके दावे कब तक होते रहेंगे सर्वे कब तक होते रहेंगे यूपी में सरकारी स्कूल कॉलेज टीचर एवं चिकित्सा हॉस्पिटल डॉक्टर की सुनिश्चित उचित व्यवस्था आम इंसान शिक्षा चिकित्सा से वंचित है लेकिन मुस्लिम नाम से सरकारी संस्थाओं के नाम बदले गए जिससे हजारों करोड़ जनता के पैसे की बर्बादी हुई सरकारी खजाने को भरने मैं सभी देशवासी बराबर के भागीदार होते हैं सत्ता में बैठे लोग सच्चाई उजागर करने वालों को ही निशाने पर रखकर अपराधी मानते हैं


  जनता अपना असल अधिकार नहीं मांग सके उन्हें भ्रमित किया जा रहा है मस्जिद के सामने से निकलने वाली शोभा यात्रा का इतिहास अगर 100 साल से चल रहा है तो मस्जिदों पर दावा करने का इतिहास भी उतना ही पुराना है सर्वे सांप्रदायिकता का नया राजनीतिक और अदालतीं हथियार बन गया है उन जिलों का माहौल कैसा हो जाता है कैसी कैसी खबरें चलती है पहले मंदिर या मस्जिद थी से क्या किसी गरीब मिडिल क्लास का घर अच्छा हो गया पिछले 10 सालों में लगभग 16 लाख लोग देश छोड़ कर विदेशों में बस गए  विदेशी नागरिकता ले चुके हैं लोग अपने बच्चों को विदेश भेज रहे हैं शिक्षा एवं रोजगार के लिए ज्यादातर भारतीय गल्फ कंट्रीयो में रोजगार और शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं एवं भारत का आयात निर्यात लगभग 70% मुस्लिम कंट्रीयों से है बड़े-बड़े नेताओं के बच्चे दंगों में शामिल नहीं होते ऐसो आराम की जिंदगी जी रहे हैं इन सभी सवालों को खोजने की जरूरत है


सुप्रीम कोर्ट की नाक के नीचे बुलडोजर का जुल्म चल रहा था राजनीति में उसे नारा एवं कानून व्यवस्था का प्रतीक बना दिया गया जब बहुत हो गया तो कोर्ट को ही कहना पड़ा असवैधानिक है लोगों ने यहां तक लिखा कि संभल में जो हो रहा है वह पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ की विरासत है 1991 का कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 को उस स्थल का कैरेक्टर क्या था जो था वही रहेगा उसी के आधार पर तय होगा कानून इसलिए बनाया गया ताकि हर दूसरी मस्जिद को लेकर या किसी भी उपासना के स्थल को लेकर दावे ना होने लग जाए नफरत की राजनीति के चक्र में ना फंस जाए  इस कानून की तारीफ सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर बनाने के आदेश देने वाले फैसले में भी की है तब यह सर्वे क्यों हो रहे हैं जिनके समाज के लोगों की स्थिति परेशानी में है उनके बारे में जानकारी नहीं है लेकिन वह मस्जिद की झूठी स्ट्रिप तैयार करके लोगों को भ्रमित कर तमाम दावे राजनीति के लिए बारूद का काम कर रहे  हैं


  मीडिया में तरह-तरह की बातें दावे छपने लग जाते हैं तरह-तरह की धारणाएं बनाई जाती है राजनीतिक संगठनों के लिए माहौल बनाने वाले धार्मिक संगठनों को यही चाहिए तनाव होता रहे लोग मरते रहे आम इंसानों के घर जलते रहे हैं संपत्ति नष्ट होती रहे अतीत के घाव उजागर किए जा रहे हैं 1991 के कानून में अयोध्या को अपवाद किया गया उसके अलावा देश के सभी धार्मिक स्थलों पर और मुकदमों पर रोक लगा दी गई  फिर इस तरह के सर्वे के क्या मतलब है स्कूल बंद हो जाते हैं कर्फ्यू लग जाते हैं 1991 के कानून पर ही तरह-तरह से टिप्पणियां हो रही है इसकी कमियों का सहारा लिया जा रहा है कोर्ट ने कहा उपासना का स्थल एक ही समय में मस्जिद नहीं और मंदिर नहीं हो सकता इसलिए 15 अगस्त 1947 को ज्ञानवापी के धार्मिक चरित्र का निर्धारण वाराणसी सिविल कोर्ट द्वारा


  हाई कोर्ट का कहना है किसी भी धार्मिक स्थल का कैरेक्टर कोर्ट में तय होगा फिर 1991 के उपासना स्थल कानून का क्या मतलब अगर दस्तावेजों को लेकर ट्रायल के दौरान तय होने लगेगा तो हजारों उपासना स्थलों पर दावे कर दिए जाएंगे जिसकी लोग चर्चा भी करते रहते हैं संविधान का हवाला देने वालों को गंभीरता से समझना चाहिए 2019 के अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के एक्ट के बारे में विस्तार से चर्चा की कहा दो मक़सदों को पूरा करने के लिए कानून बनाया गया  अगर वह मस्जिद है तो आप मंदिर नहीं कर सकते अगर मंदिर है तो मस्जिद नहीं कर सकते यह साफ कर दिया जो भी उस स्थल का कैरेक्टर है अब नहीं बदलेगा सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून की व्याख्या करते हुए लिखा है कि कानून के क्षेत्र  में किसी भी धर्म के पूजा स्थल को इस धर्म के किसी दूसरे संप्रदाय या किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदलने की बात कही गई है यह परिभाषा सभी धर्म और संप्रदायों के सभी सार्वजनिक स्थलों को शामिल करती है कोर्ट ने जजमेंट में कहा है कि यह सकारात्मक दायित्व बनता है कि 15 अगस्त 1947 को जो कैरेक्टर था उसे बरकरार रखा जाए इसलिए 1991 के कानून में कहा गया इस तरह के मुकदमे भी रद्द किए जाते हैं जो पहले से चल रहे थे और अब आगे मुकदमे नहीं होंगे जब सब कुछ साफ-साफ लिखा है तब फिर सर्वे और मस्जिद के नीचे मंदिर के दावे क्यों हो रहे हैं   सर्वे की टीम के साथ धार्मिक नारे लगाते हुए जो लोग जा रहे थे पहले विवाद करो फिर कोर्ट जो सर्वे का आदेश लो फिर तनाव पैदा हो जब 1991 के आदेश से किसी स्थल का कैरेक्टर वही रहेगा जो अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट  कानून किसी उपासना स्थल को जबरन बदलने से रोकने के लिए बनाया गया है सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है कि इस कानून के पीछे एक उद्देश्य है यह कानून हमारे देश के इतिहास और भविष्य के बारे में जिंदा नहीं किए जाएं जिन्हें लोग भूल चुके हैं इतिहास की गलतियों का सुधार लोग अपने हाथों में लेकर नहीं कर सकते हैं


 लेकिन फिर भी कानून हाथ में लेकर इतिहास की गलतियों को ठीक करने के लिए लोग उतारे जा रहे हैं और प्रशासन को इस खेल में आगे किया जा रहा है एक समय था जब इस तरह के सांप्रदायिक झगड़ों के समय लोग कोर्ट की कसमें खाते थे कि वहां साबित होने दीजिए अब कोर्ट से सर्वे के आदेश लेकर आते हैं मस्जिदों में सर्वे के नाम पर दावे करते हैं और राजनीतिक लड़ाई होती है राम मंदिर निर्माण का फैसला आया तब सब ने कहा आगे अब शांति रहेगी लेकिन अपने आसपास सर्वे की राजनीति की तरफ नजर उठाए तो भारत आपको वही मिलेगा जहां बाबरी मस्जिद के खिलाफ शुरू हुई राजनीति के समय खड़ा था कुछ बदलता नहीं दिख रहा है


 जय संविधान जय विज्ञान जय हिंदुस्तान जय जवान जय किसान


जनहित में जारी

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