सर अलेक्जेंडर कनिंघम जी स्मृति दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन|
तथागत बुद्ध और सम्राट अशोक का देश ऐसी भारत की दुनिया में पहचान है| इस पहचान को मिटाने के लिए ब्राम्हणों ने हजारों बौद्ध ग्रंथ और बौद्ध विश्वविद्यालय जला दिए, बौद्धों को हिंसक अभियानों से मार डाला, बौद्ध विहारों को हिंदू मंदिरों में तब्दील किया, बुद्ध मुर्तियों को हिंदू देवी देवताओं की मुर्तियों में तब्दील किया और मूल बौद्धों को हिंदू घोषित किया| उनमें भी, जिन बौद्धों ने ब्राह्मणवाद तथा ब्राह्मणवर्चस्व को अपनाया उनको उंची जाती के क्षत्रिय, बनिया तथा जमींदार हिंदू बनाया और जिन बौद्धों ने ब्राह्मणवाद तथा ब्राह्मणों का विरोध जारी रखा उनको ब्राह्मणों ने शुद्र, अतिशुद्र, आदिवासी और अछुत हिंदू घोषित किया| इस तरह, शक्तिशाली बौद्धों को हिंदू के नाम से विभाजित कर ब्राह्मणों ने बौद्ध भारत की पहचान मिटाई, भारत का पतन किया और खुद का वर्चस्व स्थापित किया|
ब्रिटिश जब भारत आये, तब भारत में बुद्ध और अशोक को पहचानने वाला कोई बचा नहीं था| तब ब्रिटिशों ने बौद्ध राष्ट्रों में संशोधन कर भारत में बौद्ध धर्म का वजूद ढूंढना शुरू किया| रिस डेविड्स, जेम्स प्रिंसेप, अलेक्जेंडर कनिंघम, होगसन, किट्टो, जैसे संशोधकों ने संपुर्ण भारत में घुम घुम कर जमीन के अंदर दबाई गयी बौद्ध विरासत को सामने लाया| नये नये संशोधन कर दुनिया के सामने उन्हें पेश किया| बौद्ध विरासत को संपुर्ण भारत में ढुंढकर अलेक्जेंडर कनिंघम महोदय ने यह साबित किया की भारत वास्तव में तथागत बुद्ध और सम्राट अशोक का "बौद्ध भारत" है| अलेक्जेंडर कनिंघम के संशोधन को ठुकराने वाला दुनिया में आजतक कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ है|
पश्चिमी संशोधकों ने बौद्ध भारत का इतिहास और विरासत खोजकर सामने लाया| लेकिन इन संशोधकों में अलेक्जेंडर कनिंघम अग्रणी है| उन्होंने जींदगीभर बौद्ध विरासत की खोज की और उसके लगभग 12 खंड अंग्रेजी में प्रकाशित किए| उनमें बोधगया, भिलसा टोप्स, भरहुत स्तुप के संशोधन संपुर्ण दुनिया में बेहद प्रसिद्ध है|
ब्राह्मण खुद को अत्यंत बुद्धिमान समझते हैं लेकिन एक भी ब्राह्मण प्राचीन बौद्ध विरासत खोज नहीं पाया| ब्राह्मण सच को खोजनेवाले बुद्धिमान नहीं है, बल्कि झूठ और काल्पनिक पुराण कथाओं को प्रचलित करनेवाले बुद्धिमान है| ऐसे लोगों को बुद्धिमान नहीं बल्कि एक नंबर के गधे लोग कहा जाता है| ब्राह्मण एक नंबर के गधे लोग है और उनको बुद्धिमान समझकर हमारे बहुजन लोग और जादा गधे बन जाते हैं| आज भी बागेश्वर धाम के ब्राह्मण धिरेंद्र शास्त्री का उदाहरण हमारे सामने है जो लोगों को धर्म के नाम पर अंधविश्वास तथा झुठी पुराणकथाओं में बेवकूफ बना रहा है|
दुनिया के असली बुद्धिमान तथागत बुद्ध, उनको माननेवाले बौद्ध लोग और पश्चिमी संशोधक है| यह लोग तर्कवादी, विज्ञानवादी और वास्तववादी है इसलिए वास्तविक बुद्धिमान लोग है| भारत को बौद्ध भारत बनाना है तो हमें इन बुद्धिमान लोगों की तरह तर्कवादी बुद्धिमान बनना होगा और भारत की दबाई गयी प्राचीन बौद्ध विरासत तथा इतिहास खोजना होगा और उसे देशभर में स्थापित करना होगा| यह काम आज से 200 साल पहले महान ब्रिटिश संशोधक सर अलेक्जेंडर कनिंघम जी ने किया है, जिनका आज 209 वा जन्मदिन है| अलेक्जेंडर कनिंघम हमारे आदर्श है, जिनका जन्मदिन हर साल बडे़ उत्साह से हमें मनाना है| आज उनके जन्मदिन पर संपुर्ण देशभर में हर गांव, हर शहर और हर विहार में अलेक्जेंडर कनिंघम जी का जन्मदिन मनाकर हम उन्हें अभिवादन करेंगे|
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