*मनुवाद V/S अंबेडकरवाद*
*हिन्दू-- हिन्दुत्व वादी-- अंबेडकरवादी------*
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*ब्राह्मण धर्म जिसे वर्णाश्रम धर्म भी कहा जाता है उसके अनुसार चार वर्ण होते हैं ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र,*
*यह व्यवस्था ब्राह्मणों द्वारा ब्राह्मणों के लिए ब्राह्मणों की व्यवस्था है जिसका लाभार्थी ब्राह्मण होता है उसी में से थोड़ा बहुत क्षत्रियों और वैश्यों को भी दे देता है लेकिन शूद्र इस व्यवस्था के तिरस्कृत अपमानित और बहिष्कृत लोग हैं जिन्हें शिक्षा संपत्ति शस्त्र सम्मान के अधिकार से वंचित रखकर ऊपर के तीनों वर्णों की सेवा करना ही उनका धर्म बताया गया है।*
*शूद्र बहुसंख्यक हैं, 85% हैं लेकिन शोषित ,पीड़ित, वंचित, प्रताड़ित बहुसंख्यक हैं इन्हें न्याय दिलाने के लिए ही बाबा साहेब डा अम्बेडकर ने संविधान में इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी।*
*आजादी के बाद देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई सबको वोट का अधिकार प्राप्त हो गया शूद्र 85% होने के कारण अपने वोट की* *ताकत से अपनी सरकार बना सकते थे अपने इस देश के शासक बन सकते थे, लेकिन ब्राह्मण धर्म के मालिक ब्राह्मण चुप कहां बैठने वाले थे उन्होंने लोकतंत्र की आहट पाते ही इन शूद्रों को हिन्दू हिन्दू चिल्लाना शुरू कर दिया था ,अपने ब्राह्मण धर्म को हिन्दू धर्म कहना शुरू कर दिया और अपने गुलाम शूद्रों को भी हिन्दू कहना शुरू कर दिया ।*
*उन्हें एकजुट करने के लिए मुस्लिम कट्टरवाद का हौआ खड़ा किया गया।*
*अंग्रेजों द्वारा स्थापित कांग्रेस जिस पर ब्राह्मणों का पूर्ण रूपेण कब्जा था उसने ब्राह्मण पुरुषों के नेतृत्व में आर एस एस बनाया जिसका काम ही था शूद्रों को हिन्दू बनाकर मुसलमानों के खिलाफ भड़काना और विभिन्न नाम से संगठन बनाकर उन संगठनों में शूद्रों को जोड़कर ब्राह्मण वर्चस्ववाद को बनाए रखने के लिए उनका आवश्यकतानुसार इस्तेमाल करना।*
*आजादी के बाद कांग्रेस की सरकार बनी नेहरू प्रधानमंत्री बने और लोकतंत्र के चारों पिलर्स पर ब्राह्मणों का कब्जा कराने में सफल हो गए।*
*ब्राह्मणों को पता था कि एक न एक दिन सरकार अलोकप्रिय होगी तो शूद्रों की सरकार न बन जाए इसलिए विपक्ष भी ब्राह्मणों का ही होना चाहिए इस तरह आर एस एस के ब्राह्मण* *स्वयंसेवक मुखर्जी उपाध्याय वाजपेई आदि के नेतृत्व में जनसंघ की स्थापना हुई जो आगे चलकर भाजपा बनी।*
*आज जो भारत की सत्ताधारी पार्टी है।*
*कांग्रेस शूद्रों यानी एससी-एसटी ओबीसी को मीठी छुरी से काटती थी और अब भाजपा तीखी छुरी से काट रही है।*
*हिन्दू और हिन्दुत्व वादी*
*का झगड़ा घाटों पर पंडों के झगड़े की तरह है जो* *ग्राहकों* *को दान दक्षिणा के लिए* *अपनी अपनी तरफ खींचते हैं और कांग्रेस भाजपा वोट के लिए एससी-एसटी ओबीसी को हिन्दू और हिन्दुत्व वादी कहकर अपनी अपनी तरफ खींचने का प्रयास करते हैं ।*
*दोनों ब्राह्मणों की ही पार्टियां हैं दोनों का उद्देश्य विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका और मीडिया पर ब्राह्मणों का एकाधिकार बनाए रखना है किसी भी हालत में इनमें शूद्रों को नहीं घुसने देना है!* *संविधान में दिए उनके अधिकारों को भी छल प्रपंच करके ब्राह्मणों को देना है थोड़ा बहुत क्षत्रियों और वैश्यों को।*
*जो एससी-एसटी ओबीसी कांग्रेस के महीन ब्राह्मण वाद को को नहीं समझ पाते वे उदार हिन्दू बनकर उसे अपनी पार्टी समझते हैं और धोखा खाते हैं।*
*जो एससी-एसटी ओबीसी आर एस एस के संगठनों और प्रचार माध्यमों के प्रभाव में आकर मुस्लिम विरोध की* *घुट्टी पीकर जोश में आकर हिन्दू से हिन्दुत्व वादी बन जाते हैं ये भाजपा की झोली में गिरते हैं।*
*इस तरह इनको बकरा* *बनाया जाता है चाहे कांग्रेस की छुरी से कटें या भाजपा की। कटना इनकी नियति है।*
*पहले शूद्र बनकर कटे अब* *संविधान ने एससी-एसटी* *ओबीसी बनाकर बहुत सारे अधिकार भी दे दिया तो हिन्दू और हिन्दुत्व वादी बनकर कट रहे हैं। इन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि न्याय पालिका में हमारे समाज के जज क्यों नहीं हैं?* *विश्व विद्यालयों में हमारे समाज के वाइस चांसलर प्रोफेसर आदि क्यों नहीं हैं अथवा देश के किसी भी विभाग के मुख्य पदों पर हमारे समाज के लोग क्यों नहीं हैं? हम 85% हैं तो हर क्षेत्र हमारा 85% प्रतिनिधित्व होना चाहिए लेकिन 0 से 15% ही क्यों है? इसके पीछे कौन सी शक्तियां हैं, भर्तियों में एन एफएस क्यों होता है?* *लेटरल इंट्री से सवर्णों को ही संयुक्त सचिव क्यों बनाया गया?, सवर्णों को आसानी से 10% ईडब्लूएस आरक्षण कैसे मिल गया? ईवीएम पर कांग्रेस भाजपा की भूमिका एक क्यों है?* *ओबीसी की जाति आधारित जनगणना न कांग्रेस ने कराया न भाजपा कराने को तैयार है इसके पीछे का ब्राह्मणी षड्यंत्र न कांग्रेस के हिन्दू और न ही भाजपा के हिन्दुत्व वादी एससी-एसटी ओबीसी समझ पा रहे हैं ।*
*अब तो आम आदमी पार्टी के रूप आर एस एस ने तीसरा सिम कार्ड भी लांच कर दिया है जो एससी-एसटी ओबीसी कांग्रेस भाजपा दोनों को न पसंद करें तीर्थ यात्रा कराने वाली आप का समर्थन करें ।*
*किसी भी हालत में खुद शासक बनने के बारे में न सोचें।*
*जो कांग्रेस भाजपा को नहीं पहचान पाए वे आप को क्या पहचानेंगे?*
*एससी एसटी ओबीसी में तीसरा बहुत बड़ा वर्ग तैयार हो चुका है उसे आमतौर पर अंबेडकर वादी कहते हैं उसे फुले वादी या पेरियार वादी भी कह सकते हैं।*
*इस वर्ग से कांग्रेस, भाजपा व आप सभी डरती हैं क्योंकि ये अपने समतावादी महापुरुषों फुले साहू अंबेडकर पेरियार ललई सिंह यादव जगदेव प्रसाद कुशवाहा महामना रामस्वरूप वर्मा महराज सिंह भारती आदि के विचारों उनके संघर्षों को जानते हैं वे अपने महापुरुषों के समतावाद और ब्राह्मणों के विषमता वाद के बीच सदियों से चल रहे संघर्षों को समझते हैं वे सवाल करते हैं तर्क करते हैं अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति सचेत रहते हैं वे संविधान पर हमले का विरोध करते हैं ईवीएम का विरोध करते हैं लोकतंत्र के सभी पिलर्स पर ब्राह्मण एकाधिकार का विरोध करते हैं, एससी-एसटी एक्ट में बदलाव, थर्टीन प्वाइंट रोस्टर, एनएफएस के षड्यंत्रों का विरोध करते हैं ओबीसी जाति आधारित जनगणना के लिए आंदोलन करते हैं आरक्षण को पूरी तरह लागू करने की मांग करते हैं, कांग्रेस भाजपा दोनों की निजीकरण की नीतियों का विरोध करते हैं ।*
*समाज में अपने महापुरुषों के मानवता वादी, समता वादी, वैज्ञानिकता वादी, तर्कवादी नैतिकता वादी, विचारधारा का प्रचार प्रसार करते हैं समाज को अंधविश्वास पाखंडवाद,कर्मकांड, जात-पात के ऊंच नीच की भावना से बाहर निकालने का जी-जान से प्रयास करते हैं।*
*समाज को दोस्त दुश्मन को पहचानने, ब्राह्मणी गुलामी का एहसास कराने और जंजीर को तोड़कर 85% बहुजनों को एकजुट होकर भारत का शासक वर्ग बनने का आह्वान करते हैं।*
*आज एससी-एसटी ओबीसी के इस अंबेडकर वादी वर्ग को मिल रहे जबर्दस्त जनसमर्थन से हिन्दू वाले हिन्दुत्व वादी वाले और तीर्थ यात्रा कराने वाले सब के सब सदमे में हैं कि एससी-एसटी ओबीसी यदि जाग गए तो सारी की सारी मनुवादी दुकानें बंद हो जायेंगी। फिर ब्राह्मण एकाधिकार का क्या होगा?*
*हर तरफ गूंजेगा!!!!*
*जय संविधान! जय लोकतंत्र!जय भारत!*
*जय भीम!जय पेरियार!*
*चन्द्र भान पाल (बी एस एस)*
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