ओबीसी 27% का रास्ता साफ,जिस याचिका के आदेश दिनांक 04/8/23 अधीन 87% तथा 13% का फार्मूला किया था तैयार उसे आज ख़ारिज किया हाईकोर्ट ने !
• याचिका कर्मांक WP/18105/2021 (यूथ फार एकूयलिटी)मे पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 04/08/2023 के |
• हाईकोर्ट ने किया स्पष्ट केवल वही याचिकाए सुनी जाएगी जिसमे कानून की वैधानिकता दी गई है चुनोती तथा सब ईनजीनियरो की 27% पर की गई नियुक्तियों को चीनोती देने वाली याचिका को भी आज किया निरस्त |
• याचिका कर्मांक 18105/2021 मे दिनांक 20/01/2025 को सागर वि॰वि॰ के रजिस्ट्रार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का किया था आदेश, उस याचिका को हाईकोर्ट ने किया निरस्त |
• ओबीसी तथा सामान्य वर्ग के होल्ड हजारो अभ्यर्थियो को अनहोल्ड किए जाने का हाईकोर्ट ने याचिका निरस्त करके रास्ता किया साफ, अब सरकार के पाले मे है गेंद |
• ओबीसी 27% का रास्ता साफ,जिस याचिका के आदेश दिनांक 04/8/23 अधीन 87% तथा 13% का फार्मूला किया था तैयार उसे आज ख़ारिज किया हाईकोर्ट ने !
• बड़ा सबाल :- जब हाईकोर्ट प्रकरणो को सुनने थी तैयार, तो मध्य प्रदेश शासन ने क्यो की 75 ट्रांसफर याचिकाए सूप्रीम कोर्ट मे दाखिल ?
• दाखिल ट्रांसफर याचिकाओ को 2029 के चुनाव का मुद्दा बनाने के तैयारी मे जुटी सरकार इसलिए सूप्रीम कोर्ट मे मध्य प्रदेश सरकार नही करा रही सुनवाई |
• मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार की नियत पर अहम सवाल जब कानून पर नही था स्टे तो ओबीसी को क्यो नही दिया 27% आरक्षण ?
जबलपुर 28/01/2025 : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आज उस याचिका को निरस्त कर दिया गया है, जिस याचिका मे दिनांक 04/8/23 को पारित अन्तरिम आदेश के तहत महाधिवक्ता ने प्रदेश के समस्त 54 विभागो को आगामी की जाने बाली भर्तीयो को तीन भागो मे रिजल्ट बनाने का अभिमत दिया गया था | (1) 87% पर मुख्य लिस्ट (2) 13% ओबीसी की प्रविधिक सूची (3) 13% सामान्य वर्ग प्रविधिक सूची अर्थात कुल 113% पर रिजल्ट बनाने हेतु महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रदेश के समस्त विभागो को परिपत्र जारी किए गए थे | मध्य प्रदेश की समस्त भर्तियो मे जो 2023 तक प्रक्रियाधीन थी उन सभी मे भर्ती एजेंसियो द्वारा 87% - 13% का फार्मूला लागू कर दिया गया, जिसके कारण प्रदेश के लाखो युवाओ को होल्ड करके उनका भविष्य आधार मे लटका दिया गया | सरकार का उक्त फैसला नियम विरूद्ध होने के साथ साथ संविधान तथा आरक्षण के कानून के विरूद्ध था | जो भी भर्ती विज्ञापित होती थी उन सभी मे नोट रहता था की उक्त भर्ती 87% तथा 13% पर की जाएगी तथा याचिका कर्मांक 18105/2021 के फैसले के अधीन होगी | उक्त याचिका कर्मांक 18105/2021 यूथ फार एकूयलिटी नामक पोलिटिकल पार्टी द्वारा दायर करके GAD के परिपत्र दिनांक 02/09/2021 की वैधानिकता को चुनोती दी गई थी,| उक्त परिपत्र दिनांक 02/9/2021 तत्कालीन महाधिवक्ता श्री पुरूशेन्द्र कौरव के अभिमत दिनांक 26/08/2021 के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किया गया था जिसमे तीन विषयो को छोड़कर ( P॰G॰ NEET, पीएससी द्वारा की जाने वाली मेडिकल आफिसरो की भर्ती 2020, तथा हाईस्कूल शिक्षक की भर्ती के 16 विषयो मे के पाँच विषयो) को छोड़कर समस्त भर्तियो तथा प्रवेश परीक्षाओ मे ओबीसी को 27% आरक्षण लागू किए जाने के निर्देश जारी किए गए थे | उक्त परिपत्र को हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायधीश शील नागू तथा वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्टे कर दिया था | उक्त स्टे आदेश के विरूद्ध महाधिवक्ता एवं सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे एसएलपी दायर करने के वजाए ओबीसी वर्ग के हितो के विरूद्ध महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह द्वारा गलत अभिमत देकर भूतलक्षी प्रभाव से समस्त भर्तियो मे ओबीसी के 13% पदो को होल्ड करने की प्रक्रिया आरंभ करा दी गई तथा आगामी समस्त भर्तियो को 87% मुख्य भाग तथा 13% ओबीसी एवं 13% सामान्य वर्ग के प्राविधिक भागो मे रिजल्ट जारी करना आरंभ कर दिया गया जिसके पीछे शासन की मंशा यह थी की यदि ओबीसी का 27% आरक्षण कोर्ट द्वारा अफर्म किया जाता है तो होल्ड 13% ओबीसी को दे दिया जाएगा और यदि 27% खारिज होता है तो 13% सामान्य वर्ग को दे दिया जाएगा तथा नियुक्ति पत्र केवल 87% पर ही जारी किए जाएगे 13% आरक्षण के तहत होल्ड अभ्यर्थी याचिका कर्मांक WP/18105/2021 के फैसले के अधीन होगे |
चूकी ओबीसी कानून की वैधानिकता को चुनोती देने वाली मुख्य याचिका कर्मांक 5901/2019 सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो जाने के कारण उस याचिका मे पारित अन्तरिम आदेशो की वैधता समाप्त हो गई है तथा उक्त याचिका हाईकोर्ट से डिस्पोआफ है तथा याचिका मे पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 19/03/2019 को अधिकांश याचिकाओ मे लागू किया गया था जिसके कारण उक्त याचिकाओ मे भी उक्त अन्तरिम आदेशो का प्रभाव समाप्त हो चुका है फिर भी मध्य प्रदेश सरकार ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू नही करना चाहती क्यूकी उक्त आरक्षण कांग्रेस सरकार ने कानून बनाकर लागू किया था उक्त तथ्य वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर हाईकोर्ट को पूर्व मे बता चुके है | तब हाईकोर्ट ने सरकार से कहा था की कानून आपका है चाहे किसी भी सरकार ने बनाया हो आप इसे लागू करना क्यो नही चाहते ? तब महाधिवक्ता कार्यालय के अधिवक्ताओ की हाईकोर्ट मे बोलती बंद हो गई थी |
आज दिनांक 28/01/2025 को मुख्य न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की खंड पीठ द्वारा की गई, मध्य प्रदेश शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे 75 ट्रांसफर याचिके दाखिल कर दी है जिनमे से 13 याचिकाओ मे स्थगन है तब ओबीसी की ओर से पक्ष पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की जिस याचिका के कारण प्रदेश की सम्पूर्ण भर्तिया प्रभावित हो रही है उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की रोक नही है इसलिए उक्त याचिका की विचारणशीलता पर सुन लिया जाए | उक्त याचिका मे सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 02.9.21 को चुनोती दी गई है, याचिका करता एक राजनीतिक पार्टी है तथा याचिका दाखिल करने वाला सचिव गिरीश कुमार सिंह है जो सागर वि॰वि॰ मे प्रोफेसर है जिनहे याचिका दाखिल करने का कानूनी अधिकार नही है ततसमवंध मे सागर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को कोर्ट मे उपस्थित होने का आदेश पारित किया गया है जो आज उपस्थित नही हुए है, लेकिन उनकी ओर से जबाब दाखिल करके बताया गया है की गिरीश कुमार सिंह सागर से गुरू घाशीदास यूनीवासिटी ट्रांसफर हो चुके है तब वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट से निवेदन किया की इस याचिका को खारिज कर दिया जाए ताकी प्रदेश के लाखो युवाओ का भविष्य वारवाद होने से बचाया जा सकता है बाइसे भी यह याचिका विचारण योग्य नही है अधिवक्ता के उक्त तर्को को वहड़ गंभीता से लेते हुए हाईकोर्ट ने उक्त याचिका को खारिज कर दिया गया एवं एक और याचिका जिसमे सब इंजीनियरो की 27% पर की गई भर्तियो को चुनोती दी गई थी उसे भी आज खारिज कर दिया गया |
अब सरकार के पाले मे गेंद है कब तक होल्ड अभ्यर्थियो को अनहोल्ड करके नियुक्ति पत्र दिए जाने की कार्यवाही की जाएगी |
ओबीसी वर्ग की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, रंभाजन सिंह लोधी, राकेश साहू, पुष्पेंद्र शाह, रमेश प्रजापति ने पैरवी की |
कोर्ट की सम्पूर्ण वहस सुनने हेतु किलिक करे
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