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पन्द्रह-पिच्यासी (अल्पजन-बहुजन) फार्मूले के जनक कांशीराम

 


पन्द्रह-पिच्यासी (अल्पजन-बहुजन) फार्मूले के जनक कांशीराम

🗣️ प्रोफेसर सहदेव सिंह यादव, पूर्व विधायक ने नारा दिया था कि: 

'पन्द्रह लूट करे खासी। 

जागो जागो रे पिच्यासी।' 

क्योंकि उन्होंने बामसेफ से जुड़कर बहुजन विचारधारा के मूल आधार पर गहन अध्ययन किया तथा मान्यवर कांशीराम से बहुत कुछ सीखा। उनसे सीख कर ही उन्होंने बहुजन विचारधारा को लोगों तक पहुंचाने का काम किया।


💎 प्रोफेसर सहदेव सिंह यादव ने ही कांशीराम को पन्द्रह-पिच्यासी (15-85) का जनक बताया। क्योंकि उनसे पहले कोई भी बहुजन महापुरुषों, संतों तथा गुरुओं की वैचारिक लड़ाई को पूर्ण रूप से मूर्त रूप में तब्दील कर अलग-अलग नहीं कर पाया था। मान्यवर कांशीराम ने ही बाकायदा सारणी (पिरामिड) बनाकर देश की समस्त जनसंख्या को 100% मानकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जाति और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को मिलाकर 85% बहुसंख्यक समुदाय (बहुजन समाज) और बाकि बचे ब्राह्मण, क्षत्रिय (जमींदार) और वैश्य समाज, जो कि कुल 15% है उसको अल्पजन समाज बताया। जो कि देश की समस्त न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका अर्थात राज-काज, शासन-प्रशासन और धन-संपदा पर काबिज है। जबकि लोकतंत्र में सबकी समान भागीदारी होनी चाहिए। यहां तक कि लोकतंत्र में बहुसंख्यक समुदाय बांटने वाला होना चाहिए और अल्पजन समुदाय मांगने वाला होना चाहिए, जबकि हो इसके विपरीत रहा है कि अल्पजन देने वाला बना हुआ है और बहुजन मांगने वाला बना हुआ है। क्योंकि बहुजनों को जाति के टुकड़ों में बांटकर छुआछूत-भेदभाव का रोग सबके मन-मस्तिष्क में स्थायी कर दिया गया है। जिससे वे एक-दूसरे से जुड़ने का भाव ही नहीं रखते हैं। ऐसी बातें मान्यवर कांशीराम ने देश के हर शहर, कस्बे और गांव में बामसेफ के माध्यम से कैडर मीटिंगों के द्वारा ब्लेक-बोर्ड और चॉक के माध्यम से व अपनी जेब से पेन निकाल कर उदाहरण दे-दे कर लोगों को समझाया कि किस तरह अल्पजन बहुजनों का वोट लेकर देश की समस्त व्यवस्था पर काबिज है।


🗣️ प्रोफेसर सहदेव सिंह यादव ने यह भी कहा कि भारत की धरती पर एक ऐसा जांबाज सिपाही पैदा हुआ जिसने पन्द्रह-पिच्यासी के बीच खाई खोदकर कुश्ती लड़ी। एक तरफ पन्द्रह तथा दूसरी तरफ पिच्यासी। उसी जांबाज सिपाही ने भारत के लोगों को यह भी बताया कि जातियां जानवरों में होती हैं, लेकिन ब्राह्मणवादियों (मनुवादियों) ने षड्यंत्र रचकर देश के मूलनिवासियों को जातियों में बांटकर गुलाम बना लिया। इस कारण जबतक देश में ब्राह्मणवाद (मनुवाद) रहेगा तवतक साम्यवाद और समाजवाद की कल्पना करना गलत है।


⏩ कांशीराम के साथी रहे खादिम अब्बास ने भी बताया कि ब्राह्मणवाद देश का सबसे बड़ा दुश्मन है। जिसे हम लोग अपनी खोपड़ी पर लादे फिर रहे हैं, अपने कंधों पर बोझ ढो रहे हैं। ऊंच-नीच, भेदभाव, अत्याचार अन्याय जिस व्यवस्था पर टिके हुये हैं, उसे ही मनुवाद (ब्राह्मणवाद) कहा गया है।


😡😡 देश में 15% लोग मलाई और रबड़ी खा रहे हैं, साथ ही छद्म चोला पहनकर सम्मान भी पा रहे हैं। इन सबको 85% बहुजन समाज टुकर-टुकर देख रहा है, सम्मान भी दे रहा है। इसलिए जिस दिन बहुजन समाज (जातियों में तोड़ा गया समाज) आपस में भाईचारा बना लेगा, भेदभाव खत्म कर लेगा, ऊंच-नीच की सोच मिटा लेगा, उसी दिन ब्राह्मणवाद (मनुवाद) अपने आप समाप्त हो जाएगा।


संदर्भ पुस्तक-

बहुजन नायक कांशीराम- जीवन और मिशन / 124 - 125

🙏🙏🙏🙏🙏🅰️🅿️

:- ए पी सिंह निरिस्सरो

जय भीम जय कांशीराम

जय भारत जय संविधान

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