जबतक बामसेफ संघटन बनाने की प्रक्रिया चल रही थी तबतक ब्राम्हणों को कोई चिंता नही थी। लेकिन बामसेफ संघटन बन गया,उसकी ताकत बन गई और बामसेफने बनाई गई ताकत के अधार पर व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में आगे बढने के लिए अंदोलनात्मक दृष्टिकोण रखकर संघर्ष करनेवाले संघटनों का जाल बनाना शुरू किया तब ब्राम्हणों को लगा की ये तो खतरे की घंटी है।
क्यूंकी ऐसाही चलता रहा तो इस देश में रहना मुश्किल होगा।हमारा तो अस्तित्व ही खत्म होगा। इसलिए विदेशी ब्राम्हणों ने योजना बनाई और सबसे पहले बामसेफ को कमजोर करने के लिए नौकरिया खत्म करने का प्लान बनाया और उसके तहत 1991 मे नीजीकरण, उदारीकरण और जागतिकीकरण के नाम पर सभी सरकारी नौकरियों का नीजीकरण करके नौकरिया खत्म की।
उससे कर्मचारियों की संख्या कम होती चली गई और बामसेफ के रीसोर्सेस कम होते चले गए।
ये बात जब मा.वामन मेश्राम साहब के ध्यान में आई तो उन्होने रणनीती बनाकर संघर्षात्मक संघटनाओं का निर्माण करना शुरू किया और सबसे पहले 2010 मे भारत मुक्ती मोर्चा का निर्माण किया और संभाजी ब्रिगेड के साथ मिलकर दादोजी कोंडदेव का पुतला हटाने के लिए पुना मे बडी रॅली कीया तब ब्राम्हणों ने रातोरात पुतला तो हटाया लेकिन खुद की समीक्षा की और योजना बनाई की, अब वामन मेश्राम को नजरअंदाज करके नही चलेगा।
वामन मेश्राम की ताकत को कमजोर करने के लिए दांवपेच शुरू किए उसमे सबसे पहले संभाजी ब्रिगेड को अलग किया।
जैसे ही संभाजी ब्रिगेड अलग हुआ तब मा मेश्राम साहब को समझ में आया की, आनेवाले समय में हमे अगर ब्राम्हणों के साथ लढाई लढना है तो अपने बलबूते पर लढनी होगी इसलिए संघटनाओं का जाल निर्माण करने के लिए समाज के हर क्षेत्र के लोगों को इस लढाई में सामील करने के लिए 100 संघटनाओं का निर्माण करने की योजना बनाई और उसपर अमल भी शुरू किया। इसके तहत पुरे देशभर में 88 संघटन निर्माण भी किए गए। जैसे ही 88 संघटनाओं के माध्यम से देशभर में समाज के हर क्षेत्र मे जागरण शुरू हुआ और ब्राम्हणों के विरोध मे वातावरण तैयार होने लगा तो फीर ब्राम्हणों की नींद उड गई।
फीर ब्राम्हणों ने योजना बनाई की, अगर वामन मेश्राम ने अपने बलबूते ताकत बनाई है तो अब इसे किसी भी परीस्थिती में रोकना ही होगा । फीर उन्होने योजना के तहत मा.वामन मेश्राम साहब ने जीन संघर्षात्मक संघटनाओं को बेस बनाकर काम करना शुरू किया उन्हे डिस्टर्ब करना शुरू किया है ये अब हमे समज मे आ गया है।
सबसे पहले पाॅलीटीकल एंट्री को रोकने के लिए BMP को EVM के द्वारा 2014 से लेकर आजतक रोखकर रखा। फीर उसमे तोडफोड की और हमारे राजनीतिक एंट्री स्टाॅप की, जैसेही हमारी राजनीतिक एंट्री स्टाॅप हो गई, तो हमारे बहोत सारे पाॅलीटीकल इंटरेस्ट रखनेवाले लोग बिचक गए, बिथर गए और इधर उधर भागने लगे।
फीर मेश्राम साहब ने संघर्षात्मक संघटनाओं को बढाना शुरू किया उसमे बुद्धिस्ट इंटरनॅशनल नेटवर्क इस संघटन के माध्यम से बुद्धिस्ट लोगों को बेस बनाकर अंदोलन को उग्र करने की दिशा मे विलास खरात की जिम्मेदारी लगाकर BIN को अग्रेसिव्ह किया तो ब्राम्हणों ने योजना बनाकर BIN को रोकने के लिए अपनी गतीविधीया बढाई और खरात को तोडफोड के काम पर लगाया गया है ये खरात के activities से पता चल रहा है।
अभी मुझे ऐसा लग रहा है की अब हम जो भी संघटन अंदोलन की दिशा में आगे बढाने के लिए ताकत लगाएंगे उसे
रोकने के लिए ब्राम्हण एड़ी-चोटी एक करके ऊसे रोकने के लिए काम करेगा। इसलिए हमे सतर्क रहकर काम करने की आवश्यकता है....।
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