*~~~~~रुपया जितना गिरा~~~~~*
*~~~~गिरेगी उतनी ही सरकार~~~*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
ठोंक बजा कर ही निकले थे, ले कर अपना डण्डा।
बीच रास्ते में टकराया, उनसे माहिर पण्डा।
*धरी रह गयी सब चतुराई, हुआ है बंटाढार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
चमचागीरी करने वाले ही, भडुए कहलाते।
बिना वजह देखा है सबने, इनको गाल बजाते।
*लहराते हैं यही हवा में, लकड़ी की तलवार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
फिर वामन का रूप धरे, ये धरती नाप रहे हैं।
इर्द गिर्द हैं चोर सिपाही, थर थर काँप रहे हैं।
*इज्जत पर बट्टा लगते ही, बनते रँगे सियार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
उनकी बड़ी तमन्ना है, वे कस लें खूब शिकंजे।
उनके ही शासन में देखो, बाल उगाते गंजे।
*पिछडों की सौदेबाजी में, मिली हर जगह हार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
कोरोना से बचे लोग जो, संगम खूब नहाये।
जो विदेश में बसे हुये थे, लौटे मुँह लटकाये।
*खाली डब्बा खाली बोतल, शेखी रहे बघार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
हुआ खजाना खाली, कर्जा बढ़ा विदेशी ज्यादा।
मुल्क हुआ बरबाद, इसी पर है शासन आमादा।
*रुपया जितना गिरा, गिरेगी उतनी ही सरकार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
नफ़रत और घृणा के भाषण, तोड़ दिये सब धागे।
अन्दर मचती कलह, रहे हरदम विदेश में भागे।
*काला धन सब हजम हो गया, आयी नहीं डकार।*
*सुनी है भाँड़ों की ललकार, बनी है साँड़ों की सरकार।*
*मदन लाल अनंग*
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