🌻धम्म प्रभात🌻
अहो! संसार कष्ट में पड़ा है।
"जाति च जीयति च चवति च उपपज्जति च"-
जन्मता है, जीर्ण होता है,मरता है,च्युत होता है, और फिर उत्पन्न होता है। यही संसार में a असति इदं न होति"-
- इससे न होने से यह नहीं होता है।
"इमस्स निरोधा इदं निरूज्झति"-
- इसके निरोध हो जाने से यह भी निरूद्ध हो जाता है।
किसका निरोध होता है?
तृष्णा का निरोध होता है।
तृष्णा ही संसार में सभी दु:खों का मूल है। तृष्णा के कारण ही राग द्वेष और मोह उत्पन्न होते हैं।
राग द्वेष और मोह का समुच्छेद प्रहाण करने के लिए मनुष्य को शील समाधि और प्रज्ञा का अभ्यास करना चाहिए।
तृष्णा का क्षय यानी दु:खों से मुक्ति।
यही सनातन सत्य है।
नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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