सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बहुजन समाज के नेता सदियों से चल रही अपनी मानसिक गुलामी से अभी विरत मुक्त नहीं हुए है।

 


 बहुजन समाज के नेता सदियों से चल रही अपनी मानसिक गुलामी से अभी विरत मुक्त नहीं हुए है। अभी भी उनके रगों में गुलामी का खून दौड़ रहा है। अकेले चंद्रशेखर की बात मत करिए,, काशीराम मायावती बहुजन समाज पार्टी ने तो गुलामी की हदें ही पार कर दी है। चंद्रशेखर से गिरिराज गले लग रहा है। मायावती तो ब्राह्मण लालजी टंडन को अपना भाई समझ कर राखी बांध रही थी। और बहुजन समाज पार्टी कांशीराम, ने जीवन भर आरएसएस भारतीय जनता पार्टी  ब्राह्मणों के साथ राजनीतिक समझौते कर सत्ता हथियाना की मंशा से मानसिक गुलामी का ही परिचय दिया है। यही कारण है कि आज बहुजन समाज जिसे दलित कहा जाता है उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जुल्म अन्याय अत्याचार शोषण बलात्कार के शिकार है। मैं किसी भी बहुजन नेता पर विश्वास नहीं कर सकता कि वह सच्चा अंबेडकरवादी होगा ॽ यदि सच्चा अंबेडकरवादी होते तो अलग-अलग राजनीतिक दल बनाकर अपनी अपनी राजनीति दुकान नहीं चलाते। डॉक्टर अंबेडकर के अनुरूप संगठित रहकर संघर्ष करते। जब संगति ही नहीं है। संगठित संघर्ष ही नहीं है तो सच्चे अंबेडकरवादी कैसे हो सकते हैं ॽ बहुजन समाज के नाम पर, बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक नेताओं ने उच्च वर्ग के स्वर्ण ब्राह्मणों का ही कल्याण उद्धार किया है। दलितों की हालत आज भी वैसी ही है जैसी थी।

 चंद्रशेखर आजाद एक खासदार है और हमारी संसदीय परंपरा मे विचारो का विरोध व्यक्तीगत विरोध नही होता. संसदीय कामकाज के बाद मिलना, हंसी, ठहाके लगाना कोई जुर्म या गलत नही बल्की हमारी मजबुत संसदीय परंपरा जिसमे समानता और बंधुत्व है यह दिखाता है. डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर हिंदु महासभा के श्यामाप्रसाद मुखर्जी को अपना मित्र मानते थे. मित्रता अलग है और वैचारीक मतभेद या संघर्ष अलग है. जिस दिन चंद्रशेखर आजाद भाजपा से हाथ मिलाये, समजौता करे, उनके विचारो का समर्थन करे या उनमे शामिल हो जाये उसदिन उनको भी लोग बाबासाहेब के विचारोंका विरोधक मानेंगे लेकीन अभी नही.

कांशीराम और मायावती भाजपा के सांसदो के हसी मजाक नही किया बल्की उनको साथ दिया, उनका समर्थन किया, समर्थन दिया, उनके साथ मिलकर सता का स्वाद लिया, उनके साथ मिलकर बुध्द और आंबेडकरी विचारधारा को तिलांजली दी. आज भी वो भाजपा के इशारे पर कार्य करती है.

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उत्तर प्रदेश सिविल जज परीक्षा (पी०सी०एस० जे)

  उत्तर प्रदेश सिविल जज परीक्षा (पी०सी०एस० जे) का परिणाम रैंक सहित सूची पर जरा गौर करें... 1.आकांक्षा तिवारी      रैंक 1  2.प्रतीक त्रिपाठी         रैंक 3 3.मीता पांडेय             रैंक 7 4.अनीमा मिश्रा           रैंक 13 5.सौरभ शुक्ला           रैंक 16 6.प्रशांत शुक्ला           रैंक 17  7.सौरभ पांडे              रैंक 20  8.ज्योत्सना राय          रैंक 21 9.रीचा शुक्ला             रैंक 24 10.रूचि कौशिक        रैंक 27 11.सौम्य भारद्वाज      रैंक 30  12.सौम्य मिश्रा          रैंक 34 13.वरूण कौशिक      रैंक 37  14.देवप्रिय सारस्वत    रैंक 38 15.सोनाली मिश्रा        रैंक 40  16.शिप्रा दुबे  ...

वो कौन VIP था जिसके साथ सोने से इनकार करने पर अंकिता को इतनी बड़ी सज़ा मिली?

  वो कौन VIP था जिसके साथ सोने से इनकार करने पर अंकिता को इतनी बड़ी सज़ा मिली?  क्या देश उस ‘VIP’ को पहले से जानता है?  उस VIP का नाम कभी बाहर क्यों नहीं आया? अंकिता भंडारी की हत्या इसलिए की गई क्योंकि उसने रिजॉर्ट में रुके किसी ‘VIP’ गेस्ट के साथ सोने से इनकार कर दिया था. महिला सशक्तिकरण?? 🤔🤨🤨😏

हनुमान_जयंती -- तथागत बुद्ध के पुत्र राहुल (हनुमान) के जन्मदिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।

  #हनुमान_जयंती तथागत बुद्ध के पुत्र राहुल (हनुमान) के जन्मदिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं। बोधिसत्व हनुमान वास्तव में बुद्ध पुत्र राहुल अर्थात बोधिसत्व वज्रपाणि है|         तथागत बुद्ध जब परिलेयक वन में निवास करते हैं, तब बंदर उन्हें मधु अर्थात शहद खिलाकर उनका सम्मान करते हैं ऐसी जानकारी हमें कपिचित जातक कथा में मिलती है| अनामक जातक कथा बताती है कि जब बोधिसत्व  राजकुमार अपनी महाराणी के साथ वन में विहार करते हैं, तभी समंदर का दुष्ट नागराजा उस महाराणी को उठाकर समंदर में अपने टापू पर भगाकर ले जाता है| महाराणी को मुक्त करने के लिए बोधिसत्व वानरराज और उनके सेना की मदद लेते हैं और महाराणी को नागराजा से मुक्त कर वापिस अपनी राजधानी लाते है| इस तरह, हनुमान से संबंधित कथाएं सबसे पहले हमें बौद्ध जातक कथाओं में मिलतीं हैं| भरहुत में बोधिसत्व वानर बुद्ध को मधु दे रहे हैं ऐसा शिल्प अंकित मिलता है| सन 251 में सोगदियन बौद्ध भिक्खु सेंघुई ने अनामक जातक कथा को चीनी भाषा में "लुई तु चि चिंग" नाम से अनुवादित कर दिया था| इससे पता चलता है कि, बोधिसत्व वानर का सबसे पहला जिक्र ब...