कोई समुदाय स्वयं को केवल तभी गतिमान रख सकता है जब वह राजसत्ता पर अपना नियंत्रणकारी प्रभाव रख सकने लायक हो।
कोई समुदाय स्वयं को केवल तभी गतिमान रख सकता है जब वह राजसत्ता पर अपना नियंत्रणकारी प्रभाव रख सकने लायक हो। राजसत्ता पर अपना नियंत्रणकारी प्रभाव रख कर मामूली से मामूली जनसंख्या वाला अल्पमत समुदाय भी किस तरह समाज में अपनी सर्वोच्च हैसियत बरकरार रख सकता है, भारत में ब्राह्मणों की वर्चस्वपूर्ण स्थिति इसकी जीती जागती मिसाल है। राजसत्ता पर नियंत्रणकरी प्रभाव निहायत जरूरी है क्योंकि इसके बिना राज्य की नीति को एक दिशा देना संभव नहीं है, और प्रगति का सारा दारोमदार तो राज्य की नीति पर ही होता है - डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर
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