देशका भविष्य किसीके हाथ सौंपा है इसका मतलब हाथ की पलटी मार तमाशा देखते खडे रहने के लिए नही सौपा है.हालात बिगाडते जाऐंगे और हम ताली और थाली पिटते खडे रहगे इसका यह मतलब नही है.
देशका भविष्य किसीके हाथ सौंपा है इसका मतलब हाथ की पलटी मार तमाशा देखते खडे रहने के लिए नही सौपा है.हालात बिगाडते जाऐंगे और हम ताली और थाली पिटते खडे रहगे इसका यह मतलब नही है.किसी भी हालातमें मौलिक अधिकारोंको आंच ना आने दो.माना की लोकतंत्रमें गुन्हगार नही होते लेकीन जो होते है उन्हे लोकतंत्र रास नही आता है. वे हमेशा जनताके मौलिक अधिकारोंको दबाकर अपनी श्रेष्ठता सिध्द किया करते है.इसमे फिर अष्टावक्र चक्र क्यों न अपनाना पडे, जेबसे तो कुछ खर्चा होता नही है पब्लिक का तिजोरी मे जमा पैसा खुदकी कुर्सी सहेजनेके लिए इस्तमाल किया जाता है.हालात नजरोंके सामने गंभीर बनाके रखंगे और हम तमाशा देखते रहे ताली और थाली पिटते रहे यह हमारा काम नही है.
देशका लोकतंत्र सही मे बचाना है तो जुल्मकारोंके खिलाफ हर तौर तरीके अपनाने होगें.कमजोर की जान मरनेके बराबर होती है क्या उपरवाले ने इनके हाथो जानवरोके जैसा मरनेके लिए हमे पैदा किया है?सवाल यह है, हमारा भविष्य अपने परिवारोंका भविष्य यदि खतरेमे नही डालना चाहते तो समजले अभी वक्त है.वक्त गुजरता जाएगा और "अभी वक्त है" खत्म हो जाएगा.इसके पहले कदम उठाते हुए कदम आगे बढाओ.
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