रूढ़िवादी परम्पराओं को त्यागने में ही भलाई है।

 


*रूढ़िवादी परम्पराओं को त्यागने में ही भलाई है।*

हम अपने परिजनों का दाह संस्कार करने के बाद "राख" को पानी में डालकर, कहीं हम धर्म की आड़ में हिंसा तो नहीं कर रहे❓

प्रकृति में हर चीज को संतुलित बनाए रखने की अजीबोगरीब छमता होती है, हमें भी इस संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रयास करना चाहिए।

यह सच है कि राख में मौजूद तत्व पानी में मिलकर हानिकारक प्रभाव डाल सकते, लेकिन जब यही तत्व पेड़-पौधों की जड़ों में पहुंचते हैं तो वे पौधों के लिए पोषक तत्व बन जाते हैं।

यह प्रकृति की अद्भुत प्रक्रिया है, जहां एक ही पदार्थ विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है। यह पौधों की अद्वितीय क्षमता को दर्शाता है जो हानिकारक पदार्थों को भी अपने विकास के लिए उपयोगी बना सकते हैं।

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