आपके दिमाग पर ईश्वर नाम का ऐसा ढक्कन लगा दिया गया है कि आप उसके बाहर सोच ही नहीं सकते और ईश्वर को भी इसलिए ठूंस ठूंसकर भरा गया है ताकि आप उसे ढूंढ़ने के चक्कर में ईश्वर के आविष्कारकों के इशारे पर धार्मिक आर्थिक सामाजिक राजनीतिक शोषण कराने को सदा और सहर्ष तैयार रहें।
आपने कहा क्या तुम्हारे घर में मंदिर नहीं है तो यकीन मानिए मेरे घर में न कोई मंदिर है न कोई ईश्वर देवी देवता का फोटो इत्यादि क्योंकि मैं मानता हूं कि बाजार से मंदिर लाकर उसमें मनुष्य द्वारा निर्मित फोटो मूर्ति आदि रखकर अगरबत्ती सुलगाने और घंटी बजाने से वे फोटो व मूर्तियां मेरा कुछ भला या बुरा नहीं कर सकतीं क्योंकि वे निर्जीव हैं उनमें कोई शक्ति आ ही नहीं सकती यदि शक्ति होती तो दुकानदार उन्हें बेचता क्यों?
शादी मृत्यु भोज गृह प्रवेश आदि में भी अब बहुत परिवर्तन आ चुका है अब लोग ब्राह्मण को न बुलाकर खुद ही सारे संस्कार संविधान की प्रस्तावना पढ़कर,अर्जक विधि से या बौद्ध रीति से संपन्न करा रहे हैं।
जहां तक वीरांगना अहिल्याबाई होलकर की बात है मैं यह मानता हूं कि मनुवादियों ने ही षड्यंत्र पूर्वक उनके हाथ में शिवलिंग वाली फोटो प्रचारित की ताकि उनको अपना पूर्वज मानने वाला समाज भी शिवभक्त बना रहे ।
हम अपनी विचारधारा किसी पर थोपते नहीं बल्कि उस पर विचार करने का आग्रह करते हैं हमारी बातें समाज हित की एवं योग्य लगें तो मानिए अन्यथा छोड़ दीजिए।
थोपने की बीमारी तो धर्म वालों की है जो कहते हैं कि जो कुछ भी वे कह रहे हैं वह ईश्वर वाणी है उस पर सवाल नहीं उठा सकते , पाप लगेगा बस चुपचाप मान लो!
इसीलिए आप वहां सवाल नहीं उठाते।
ईश्वर काल्पनिक है माता पिता वास्तविक हैं आप काल्पनिक की तुलना वास्तविक से कर रहे हैं यह आप पर धार्मिकता के प्रभाव को दर्शाता है कि ढंग से तर्क भी नहीं कर सकते।
प्रकृति, पेड़ पौधे जीव जंतु यह सब ईश्वर ने बनाया है इस बात का आपके पास कोई प्रमाण नहीं है बस बचपन से दिमाग में भर दिया गया है इसलिए वही दोहराए जा रहे हो।
लाखों करोड़ों वर्षों में पृथ्वी पर कैसे कैसे परिवर्तन हुए कैसे जीवजंतु वनस्पतियां पैदा हुईं कैसे उनका विकास हुआ ।
विज्ञान की किताब पढ़िए सब विस्तार से दिया हुआ है।
पहली बात तो हम राजनीति नहीं कर रहे हैं हम सिर्फ यह चाहते हैं कि आप तर्कवादी बनें अपने अंदर वैज्ञानिक सोच विकसित करें, सत्य ढूंढ़ने का प्रयास करें।
सवाल कांग्रेस भाजपा का नहीं है दोनों अपने अपने तरीके से धर्म के नाम पर एससी एसटी ओबीसी को मूर्ख बनाकर उनके हक अधिकारों को हड़प कर अपने लोगों में बांट रही हैं।
इसीलिए कांग्रेस और भाजपा ने आज तक जाति आधारित जनगणना नहीं होने दी दोनों की सहमति से ईवीएम द्वारा बहुजनों का वोट लूटकर उन्हें सत्ता से वंचित रखा जा रहा है किन्तु आपको क्या लगे रहिए धर्म की रक्षा में , बर्बाद होने दीजिए बच्चों का भविष्य!
लेकिन काल्पनिक ईश्वर और धर्म (वास्तव में ब्राह्मण वर्चस्ववादी सामाजिक व्यवस्था) पर आंच नहीं आनी चाहिए!
यह और कुछ नहीं विशुद्ध मानसिक गुलामी है इससे आजाद होने के लिए अपने समतावादी महापुरुषों फुले साहू अंबेडकर पेरियार ललई सिंह यादव जगदेव प्रसाद कुशवाहा आदि के साहित्य पढ़िए अपने बच्चों को भी पढ़ाइए उनके संघर्षों को जानिए निश्चित रूप से मानसिक गुलामी से आजाद होकर वैज्ञानिक सोच से लैस हो जायेंगे, मित्र और शत्रु की पहचान हो जायेगी, गुलामी का एहसास हो जायेगा उसके बाद आप अवश्य ही नीच ऊंच के भेदभाव एवं अंधविश्वास से बजबजाती , ब्राह्मण एकाधिकार वादी इस व्यवस्था से विद्रोह कर देंगे!
चन्द्र भान पाल (बी एस एस)