लोकतंत्र के खिलाफ बगावत करनेवालोंको अंदर ठुंसा जाय.या सत्ता से हटाया जाय. इन कम अक्लोंसे लोकतंत्र संभाला नही जा सकता.

 


लोकतंत्र के खिलाफ बगावत करनेवालोंको अंदर ठुंसा जाय.या सत्ता से हटाया जाय. इन कम अक्लोंसे लोकतंत्र संभाला नही जा सकता.इनका दिमाग ठिकानेपर नही है. जानबुझकर कुछ भी अनर्गल बक देते है.और आंच लगने लगे तो बादमें माफी मांग लेते है. अर्थात कुर्सीसे चिपके रहना और गल्तियोंका माहौल बनाना, "उचित कारवाई शीर्ष स्तर" पर नही होने के कारण दिमागमें हवा भरी है.कुछ भी अंटसंट बके दिन गुजार रहे है इन पर मा. सर्वोच्च संस्थाओंने नकेल कसना जरूरी हो रहा है.इनकी सोच विदुषक की सोचसे  अधिक नही है.कभी कभी विदुषक की सोचसे श्रेष्ठ विचारशक्ती पाई जा सकती है लेकिन इनसे घटिया विचारोंके अलावा कुछ प्राप्त नही होता.

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