*~~~अजब है लंगर की सरकार~~*
*लंगर ने सारा जग देखा, मिला न पालन हार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
गुरु ने अमृत पान कराया, सबको गले लगाया।
दुनिया में जो भी आया है, कोई नहीं पराया।
*इसीलिये सब पर पड़ती है, खुशबू की बौछार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
जिन्हें नसीब नहीं, घोड़ी पर उनको खूब चढ़ाया।
पगड़ी बाँधी और शान से, खुले आम दौड़ाया।
*कमर बँधी है खुखरी जिनके, करती है टंकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
जिन मूँछों पर कत्ल हुये हैं, वे मूँछैं बढ़वा दीं।
धागा तोड़ कड़ा पहनाया, बाँहें भी चढ़वा दीं।
*जगह जगह पर पड़ी सुनायी, फिर उनकी ललकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
वर्ण व्यवस्था वालों ने, फिर अपना जाल बिछाया।
बने वहाँ भी सिक्ख और, अपना परचम लहराया।
*लंगर से ही भेदभाव की, गिरी मिली दीवार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
अलग थलग हैं गुरु के द्वारे, करें ग्रंथ की पूजा।
पालनहार एक है उनका, और न कोई दूजा।
*ये घुसपैठ सभी धर्मों की, करती बण्टाढार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
जैसे ढोल दूर के लगते, सबको बड़े सुहाने।
और अगर अन्दर झाँको तो, मिलते कई मुहाने।
*अन्दर अन्दर छिड़ी हुयी है, सभी जगह तकरार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
सही सोच भी इसीलिये, लंगर का भार उठाया।
पर नफ़रत करने वालों ने, नकली सार लुटाया।
*जातिवाद सब खत्म करो, फिर गुरु की करो पुकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
दुनिया के हर एक देश में, झण्डे गाड़ दिये हैं।
बाबा साहब की वाणी ने, सबको प्राण दिये हैं।
*फिर भी तो कुछ बने रहेंगे, धरती पर मक्कार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*अजब है लंगर की सरकार।*
*मदन लाल अनंग*
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
*1-* वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया *मध्यम मार्ग समन्वय समिति* के माध्यम से जारी *2700 से अधिक लेख/रचनायें* सोशल मीडिया पर निरंतरता बनाये हुए हैं।
*2-* कृपया रचनाओं को अधिक से अधिक अग्रसारित करें।
*3-*सम्पर्क सूत्र~*
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