*पूर्वजन्म पर ब्राह्मण और ओबीसी के बीच सवाल जबाब.....*
*ब्राह्मण-*
परमेश्वर हर पाप और पुण्य कर्म का फल देता है..
वह जगत का न्यायाधीश है।
मनुष्यों के न्याय में विकार हो सकता है परन्तु परमेश्वर सच्चा न्याय करता है।
*ओबीसी...*
पूर्णतः फालतू निराधार असत्य कथन....
*ब्राह्मण....*
श्रीमान! आपको इसमें क्या असत्य लगा?
कृपया स्पष्ट करें!
*ओबीसी...*
छोटी-छोटी बच्चियों पर बलात्कार उसके किस न्याय की श्रेणी में आते हैं?
कोरोना काल में भूखे-प्यासे मजदूरों को बच्चों बुजुर्गों के साथ हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर करने में उसकी कौन सी न्याय व्यवस्था काम कर रही थी?
शक्तिशाली दबंग जब चाहते हैं गरीब कमजोर के प्रति हत्या बलात्कार घर जलाने जैसा अपराध खुलेआम कर डालते हैं उस समय आपका न्यायप्रिय कथित न्यायाधीश कौन सी गुफा में छुपा रहता है?
*ब्राह्मण...*
आपकी शंका बहुत सात्विक हैं श्रीमान, पर आपने बहुत ही निम्न तरीके से इस विषय पर सोचा हैं। आपको शून्य से सोचना प्रारम्भ करना होगा। आपका यह प्रश्न आपको ईश्वरीय ज्ञान का अनमोल द्वार खोल सकता है... कृपया इस प्रश्न के जवाब की जिज्ञासा अपने मन मे बनाए रखें
कृपया आप पहले इस बात को समझ लें कि, विज्ञान अर्थात विशेष ज्ञान को ही सत्य विद्या कहते हैं। उसकी अनेक शाखाए होती हैं। जो तर्क से जाना जाता हैं, उसे ही सत्य विद्या कहते हैं। चमत्कार, जादू टोना, पौराणिक कथाएं, अवतारवाद, आदि को सत्य विद्या नही कहा जा सकता
शायद आपको भूतकाल में ईश्वर के विषय मे बहुत गलत जानकारी दी गई हैं, आप भी बहुतांश लोगो की तरह पौराणिक विचार धारा के शिकार हुए हो।
धर्म वह है, जिसको धारण करने से आपकी उन्नति हो। आज कल चल रहे विविध नामों वाले सम्प्रदाय हैं, धर्म नहीं। धर्म सभी का एक ही होता हैं, जैसे भूख लगने पर खाना खा लेना चाइए, यह धर्म हैं। यह सभी के लिए समान है। भूख लगने पर सभी सम्प्रदाय के लोग खाना ही खाते हैं ना?
ईश्वर ने हमे तर्क करने हेतु बुद्धि दी हैं, उसी से निर्णय करना चाहिए न कि किसी ने क्या कहा उसपर...
*ओबीसी....*
ईश्वर पूर्वजन्म के आधार पर अगले जन्म का कर्मफल तय करता है इस संकल्पना का आधार क्या है ?कौन है वह व्यक्ति जो ईश्वर के हिसाब किताब बही खाते वाले रजिस्टर को और उसकी इस व्यवस्था को देखकर पृथ्वी पर वापस आया और ईश्वर की इस व्यवस्था के बारे में मनुष्यों को बताया जब वह इतना बड़ा शक्तिशाली व्यक्ति है या था तो इस गूढ़ जानकारी को जानवरों को भी बताने की कला या शक्ति उसमें क्यों नहीं थी? वे भी तो बराबर के जीव हैं इस रहस्य को जानने का उन्हें भी अधिकार है।
*ब्राह्मण....*
श्रीमान, बात को जरा ठीक से समझने का प्रयत्न करिए।
आपको पहले यह स्पष्ट किया था कि, जन्म के साथ आपको जो भी प्राप्त होता हैं, जिसमें शरीर का भी जिक्र किया था ना... वह शरीर आपके कर्म अनुसार मनुष्य का हो सकता हैं, या कुत्ते, बिल्ली, गाय, किट, पतंग आदि आदि।
यह सभी योनियों का निर्माण ही तो अच्छे-बुरे कर्म का फल भुगतने हेतु हुआ हैं।
आपने पिछले जन्म में बेहतर कर्म किए हैं, तभी तो वर्तमान में मनुष्य शरीर प्राप्त हैं, लेकिन उतने भी अच्छे नही किए जितने आपसे बेहतर जीवन व्यतीत करने वालोंने किए हैं।
ईश्वर की न्याय व्यवस्था में एक एक कर्म, चाहे वह अच्छे हों या बुरे, सभी की व्यवस्था हैं। कोई इससे नही बच सकता।
इस विषय मे सचमुच आप विस्तृतसे जानकारी पाना चाहते हो तो, कर्मफल के विषय मे वैदिक आर्ष ग्रंथ टटोलें।
*ओबीसी....*
गोल गोल मत घुमाइए ! संपूर्ण उत्तर की अपेक्षा है
पिछले जन्म के कर्मों का फल भुगतने के लिए अगला जन्म मिलता है इस संकल्पना का आधार क्या है?
कौन है वह महापुरुष जो ईश्वर के पास जाकर उसकी खाता बही और उसकी व्यवस्था देखकर पूरी जानकारी हासिल करके पृथ्वी पर वह भी सिर्फ भारत में आया और यहां के लोगों को ईश्वर की सारी व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी?
आपकी जानकारी में है कोई व्यक्ति जो ईश्वर के पूर्वजन्म पुनर्जन्म विभाग में कुछ दिन काम करके वापस धरती पर आकर वहां का अपना अनुभव लोगों से साझा किया हो?
या सबकी सब सिर्फ किसी गप्पी की गप्प कथाएं हैं?
अभी तक ब्राह्मण का जबाब नहीं आया।