*" वो कहते हैं आप आरक्षण व्यवस्था ख़त्म करिए, लेकिन वो छुआ-छूत, ऊंच-नीच और जाति-पाति बनाए रखना चाहते हैं ”*
*जाति है कि जाती नहीं
*क्योंकि सच्चाई यही है इन्हें तकलीफ़ आरक्षण की नहीं है बल्कि इस बात की है कि हजारों बर्षो का गुलाम कोल,चमार,कुम्हार,बसोर धोबी,भंगी,मेहतर,कोरी कोटवार,बढ़ई,तेली,नाई,लोहार जैसे तमाम दलित,आदिवासी,गरीब पिछड़ा ओबीसी समाज शिक्षा पाकर अधिकारी बनकर हमारे सामने ज़मीन पर बैठने वाली तमाम जातियां अधिकारी बनकर कुर्सी पर कैसे बैठे है!*