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दीक्षाभूमी स्तूप… बारीश के पानी से भर न जाए*

 

*दीक्षाभूमी स्तूप… बारीश के पानी से भर न जाए* 


दीक्षाभूमीपर स्तूप का निर्माण अंदाजन १९७८ के आसपास शुरू हुआ था. उस वक्त दीक्षाभूमीके जमीन का स्तर Ground Level और दीक्षाभूमीके आसपास दक्षिण दिशाके लक्ष्मीनगर और उत्तर दिशाके काचीपुरा रामदासपेठ इन बस्तियों के जमीन का स्तर Ground Level बहुत कम / निचे था.


माटे चौक से दीक्षाभूमीकी ओर आनेवाले रास्ते की उचाई क्रमबद्ध बढाई गई है. निरी से दीक्षाभूमीकी ओर आनेवाले रास्ते की उचाई क्रमबद्ध बढाई गई है. वर्धा रोड से दीक्षाभूमीकी ओर आनेवाले रास्ते की उचाई क्रमबद्ध बढाई गई है. यह तीनों रास्तोंको लगकर पुराने मकान, बंगले इनके मुल जमीन के स्तर Ground Level का निरीक्षण करने के बाद पता चलता है की दीक्षाभूमीके दक्षिण दिशा का रास्ता कितना फिट अधिक उपर उंचा उठाया है. अण्णाभाऊ साठे चौक का जमीन का स्तर Ground Level सबसे अधिक किया गया है. *रास्ते की उचाई इसप्रकार बढाना क्या यह सहज हुआ है. या इसके पिछे कोई नियोजनबद्धता थी. या रास्ते बांधकाम विभाग के अभियंताओं के Non application of Mind से यह सब हुआ है. या कोई अन्य कारण है.*


*रास्ते उंचा करने से दीक्षाभूमीके स्तूप के जमीन का स्तर Ground Level अंदाजन ४ से ५ फूट निचे हुआ है.*


दीक्षाभूमीका विकास करने के अवास्तविक कल्पनासे दीक्षाभूमीपर *अनावश्यक और आक्षेपार्ह मलनिस्सारण प्लांट और भूमिगत पार्किंग* के निर्माणको जनविरोध से बंद किया गया था. मिट्टी डालकर मैदान समतल किया गया. लेकिन मैदान के जमीन का स्तर Ground Level और दीक्षाभूमीके स्तूप के जमीन का स्तर Ground Level मे आज कम से कम ३ से ४ फूट का अंतर है.


आज दीक्षाभूमीका स्तूप निचे हो गया है. सिमेंट रोड बहुत अधिक उंचे हो गये है. *दीक्षाभूमीका कुल क्षेत्रफल ध्यान मे रखे तो बरसात मे कितना किलोलिटर पानी दीक्षाभूमीमे इकठ्ठा होगा इसका अंदाजा हवामानशास्त्री सहज लगा सकते है.* इसमे से अधिकतर पानी दीक्षाभूमीके Low laying स्तूप मे जाने की आशंका है. बारीश के पानी का बहुत ज्यादा प्रमाण देखते, स्तूप से पानी की निकासी करने के लिए पर्याप्त क्षमता के पंप, Mud pump तत्काल उपलब्ध होना जरूरी है. दीक्षाभूमीके स्तूप मे बरसात का पानी जाए,  यह बहुत बडी आपत्ति हो सकती है. यह आपत्ती नैसर्गिक आपत्ती नही है. यह आपत्ती नियोजनबद्ध तरीके से उत्पन्न कि गई है ऐसा लगता है. दीक्षाभूमीके स्तूप मे बरसात का पानी जानेसे स्तूप का अपरीमित नुकसान हो सकता है.


यह आपत्ती न आए इसलिए *स्थापत्य अभियंता, सामाजिक कार्यकर्ता* कृपया इन सभी मुद्दोंपर तांत्रिकदृष्टीसे निरीक्षण,मुल्यांकन करके शासन को उचित कार्रवाई करनेहेतू निवेदन करे.


विनंतीपूर्वक 

आपका धम्मबंधू

सुधीर शंभरकर,  नागपूर.

२६ मे २०२५

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करूणा भवन आणि  दीक्षाभूमी मित्रमंडळ

तसेच 

बानाई 

यांनी पुढाकार घेऊन किमान --

1) दीक्षाभूमी स्मारक समिती,

2) नागपूर महानगरपालिका,

3) NMRDA / NIT,

4) जिल्हाधिकारी नागपूर, 

5) विभागीय आयुक्त, नागपूर, 

6) दीक्षाभूमी परिसराचे मा. आमदार व राज्याचे मा. मुख्यमंत्री

यांचेशी कृपया तातडीने पत्रव्यवहार व संपर्क करावा,

ही विनंती.

31 मे 2025

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