कटु सत्य
यदि समस्त बहुजन समाज के लोगों को राजनीति मे आना है तो वर्तमान मे कबिलाई सरदारों के घरों मे जन्म लेना पड़ेगा अन्यथा अपनों कि ही दलाली गुलामी करनी पड़ेगी कुछ मानसिक गुलामों को यह बहुत अच्छा लगता है तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग भी मानसिक गुलामों से कम नहीं है इन राजतंत्र उतराधिकारी की आलोचना करने कि हिम्मत किसी में नहीं है
लोकतंत्र मे राजतंत्र व उतराधिकारी परम्परा संविधान विरोधी मुर्दाबाद। बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर व बहुजन समाज के महापुरुषों की विचारधारा को पैरों से कुचलने वाले मुर्दाबाद है मानसिक गुलामों होश मे आओ होश मे आओ