.✍️📢 *जी करता है दिखा दूँ सीना चीर के*
*कलेजा छलनी हुआ पड़ा है,*
*मनुवाद के तीर से !!*
*हमारे पूर्वज राक्षस और राक्षसों के,*
*अवतार हो गये !!*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से कुर्मी ,*
*और कुम्हार हो गये !!*
*ये यूरेशियन भारत में शरणार्थी बन कर आये थे !*
*रोटी भी हम लोगों से माँग कर खाये थे !!*
*फिर धीरे-धीरे वो हमारे,*
*कबीलों के सरदार हो गये !!*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से पाल और कलार हो गये !!*
*हमारी संस्कृति और सभ्यता को मिटाया था,*
*जान ना ले हकीकत इसलिए,*
*हमारा इतिहास भी जलाया था !*
*रहते थे जो फिरंगी मेहमान बन कर*
*वो राजा, वजीर और सूबेदार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से कहार हो गये !!*
*वैदिक सभ्यता थी इनकी !*
*जो इंसान को इंसान ना समझे,*
*वो धर्म नहीं ऐसा अधर्म था !!*
*वर्णवाद और जातिवाद के कारण,*
*समाज के टुकड़े हजार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से तेली*
*नाई, लोधी और महार हो गये !!*
*सरेआम बहन-बेटियों की इज्ज़त को ,*
*नीलाम करवा दिया !*
*बांध कर गले में हांड़ी और पीछे झाड़ू,*
*आत्मसम्मान भी हमारा खत्म करवा दिया !!*
*देख-देख हाल अपने समाज का,*
*हम शर्मसार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से अहिरवार हो गये !!*
*जिह्वा कटवाते थे,*
*कानों में शीशा डलवाते थे !*
*मर जाता था प्यासा एक अछूत,*
*मगर ना उसको पानी पिलाते थे !!*
*ऐसा गुलामी भरा जीवन पाकर,*
*हम कुत्तों से भी बेकार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से रावत और*
*कोरी और बरार हो गये !!*
*"अपना दीपक खुद बनो" लिंगो दादा हीरा मोती कंगाली ने,*
*सत्य की राह दिखाई थी !*
*क्या होती है तर्क और विवेक की शक्ति,*
*हम सब को बतलायी थी !!*
*लेकर बुद्ध की शिक्षा "सम्राट अशोक"*
*अरब देशों के पार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती राजा से,*
*केवल मौर्य हो गये !!*
*कह गये सतगुरु रविदास "मन चंगा तो कठौती में गंगा" पढ़े हमारे समाज का हर एक बंदा !*
*मधुमक्खियों की तरह रहो मिलकर ताकि,*
*ले ना सके कोई तुमसे पंगा !!*
*पाकर ऐसा रहबर, पाकर ऐसा सतगुरु*
*परमात्मा के भी साक्षात्कार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से अहीर*
*और लुहार हो गये !!*
*"बाबा साहेब" ने शिक्षा, संघर्ष और*
*संगठन का गहरा नाता बताया था !*
*लिख संविधान हर गुलाम को,*
*गुलामी से मुक्त कराया था !!*
*पर अब भूलकर बाबा साहेब को ,*
*देवी-देवता तुम्हारे अपार हो गये !*
*इस तरह हम चक्रवर्ती से चमार हो गये !!*
*जय संविधान*📘 *जय विज्ञान*
*जय मूलनिवासी*
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🌷🌷जन चेतना के लिए🌷🌷🌷
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