अब तो बदलो क्षत्रियों..

 

हम क्षत्रियों ने खुद के शादी,आयोजन, धार्मिक निमंत्रणों में, किसी भी पारिवारिक समारोह में कभी अपने क्षत्रिय पूर्वजों को जगह दी है? कदापि ऐसा नहीं देखा होगा। कभी देखा है कि चौहान क्षत्रियों के निमंत्रण में पृथ्वीराज चौहान की तस्वीर भी लगाई गई हो? या गौतम क्षत्रियों के निमंत्रण पत्र में भगवान गौतम बुद्ध की तस्वीर? या बुंदेला क्षत्रियों के निमंत्रण में छत्रसाल बुंदेला जी की तस्वीर? नहीं भाई नहीं।


हम क्षत्रियों ने अपने इतिहास को ही तिलांजलि दे दी और वर्तमान में दूसरों जैसा दिखने के लिए उन्हीं की अवधारणा पर चलने लगे, इतिहास वृत्ति को नष्ट कर दिया।


लेकिन वर्तमान विचारधारा का कारवां मूलनिवासी बहुजनों तक पहुंच गया, लेकिन क्षत्रियों में अभी कुछ लोग हैं जो इसे स्वीकार नहीं करेंगे।


यह वैचारिक कारवा राजस्थान के बाड़मेर जिले के भारत पाक बोर्डर से सटे उस गांव तक पहुंचा है जहां आजादी के 80 साल बाद भी मूलभूत सुविधाएं कोसों दूर है।ये वो गांव जहां नेटवर्क के लिए रेत के टीले पर चढ़ना पड़ता है! पानी के लिए कोसो दूर आज भी उन कुओं से ऊंट गाड़ी पर लाया जाता है! एक बहुजन मूलनिवासी भाई पंचराज वणल ने इसे सारगर्भित कर दिखाया है, यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन है जिसे सारगर्भित  वामन मेश्राम जी ने किया है। भाई पांचराज को इस ऐतिहासिक शादी कार्यक्रम की अग्रिम बधाई!


अब तो बदलो क्षत्रियों.....

Featured Post

RSS - वे पांच किताबें, जो आरएसएस की विचारधारा ( हिंदूवादी) के महल को पूरी तरह ध्वस्त कर सकती हैं-विश्व पुस्तक दिवस

  वे पांच किताबें, जो आरएसएस की विचारधारा ( हिंदूवादी) के महल को पूरी तरह ध्वस्त कर सकती हैं-विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) 1- गुलामगिरी- जोत...