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यादव कथा वाचकों पर पेशाब छिड़कना बहुत भारी पड़ेगा ब्राह्मणों को ,,,, चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट

 


यादव कथा वाचकों पर पेशाब छिड़कना बहुत भारी पड़ेगा ब्राह्मणों को  ,,,,  चेतन बैरवा  , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट 

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सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट चेतन बैरवा ने कहा कि ब्राह्मणों को , यादव कथा वाचकों पर महिला ब्राह्मणी का पिसाब छिड़कना उनके लिए बहुत भारी पड़ेगा । इटावा कांड के मुख्य सूत्रधार रेणु तिवाड़ी ( ब्राह्मणी ) और उसका आदमी अब पत्रकारों के सामने रो रहे हैं , गिड़गिड़ा रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें यादवों से धमकी मिल रही हैं कि वे उनकी लड़कियों को उठा ले जायेंगे । 


लेकिन इन ब्राह्मणों को तब बड़ा अच्छा लग रहा था जब ये लोग यादव कथावाचकों के साथ मार पीट कर रहे थे , उनके साथ गाली गलौच कर रहे थे , उनके बाल मुड़वा रहे थे , उनसे अपने पैरों में नाक रगड़वा रहे थे । रेणु तिवाड़ी का हसबैंड और गांव के बाकी ब्राह्मण उन कथा वाचक यादवों पर रेणु तिवाड़ी का पेशाब डाल रहे थे । इस नशे में कि यादव तो शुद्र होते हैं , इनकी हिम्मत कैसे हुई शुद्र होकर कथा वाचन करने की । 


अब भुगतो नतीजे , जैसा करोगे वैसा ही भरोगे भी । तुम दूसरों पर अत्याचार करोगे तो दूसरे लोग भी तुम पर अत्याचार करेंगे , अपने अपमान का बदला लेंगे । 


इन वर्ण व्यवस्था बनाने वालों को तब बड़ा मजा आता है जब दलित का मूंछ रखने पर मर्डर होता है , पानी का घड़ा छूने पर उनका मर्डर होता है , उनका दुल्हा घोड़ी पर चढ़कर आता तो उसके साथ मारपीट होती है , आदिवासियों के मुंह पेशाब कर दिया जाता है , अखिलेश यादव ( पूर्व मुख्यमंत्री ) के मंदिर प्रवेश पर मंदिर का शुद्धिकरण किया जाता है , क्षत्रियों के बारे में यह कहा जाता है कि सो साल के क्षत्रिय को भी दस साल के ब्राह्मण के बच्चे को अपने बाप के बराबर मानना होगा । तब इन वर्ण व्यवस्था बनाने वाले मनुवादियों को बड़ा मजा आता है । 


अभी तो शुरुआत हुई है । ओबीसी में और भी बहुत सी जातियां हैं , वो भी अपने अपने अपमान का बदला लेंगी , वो भी यादवों की स्टाइल में एक्शन में आएंगी । वो भी अपने अपने उस अपमान का बदला लेंगी जिसमें कहा गया है कि  " ढोल गंवार शूद्र पशु नारी , ये सब ताड़ना के अधिकारी " । "  पूजिए विप्र ( ब्राह्मण ) शील गुण हीना, शुद्र ना गुण ज्ञान प्रवीण " 


कुरान में , गुरु ग्रन्थ साहब में , बाइबिल , बुध और जैन लिटरेचर में तो इस तरह की वाहियात बातें कहीं  लिखी ही नहीं गई हैं । क्योंकि वहां इंसानियत सर्वोपरि है जबकि हिंदू धर्म में इंसानियत का कोई मतलब ही नहीं । यहां तो दूसरों को दबाकर रखने का षडयंत्र सर्वोपरि रहा है । इसलिए वैसी ही धार्मिक किताबें यहां तैयार की गई हैं । इस्लाम में , सिख धर्म में , ईसाई धर्म में , बुध और जैन धर्म में , इंसान इंसान सब बराबर हैं । वहां ऊंच नीच का कोई चक्कर ही नहीं हैं । 


लेकिन अफसोस की बात यह है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी , ग्रह मंत्री अमित शाह तथा आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत , इसी ऊंच नीच को बरकरार रखने वाले हिंदू धर्म की जड़ों को मजबूत करने में लगे हुए हैं । ये लोग चाहते ही नहीं सभी लोग समान हों । ये लोग तो यह चाहते हैं कि एससी एसटी ओबीसी के लोग पहले की तरह ही शुद्र और अछूत बनकर रहे । ऐसी सूरत में एससी , एसटी , ओबीसी के लोगो को चाहिए कि वे इस हिंदू धर्म का त्याग कर अपनी पसंद के किसी भी दूसरे धर्म में चले जाए तथा बीजेपी को कतई वोट ना दे । एससी एसटी ओबीसी के लोगो को , साथ ही बुध जैन ईसाई मुसलमान और सिख धर्म को चाहिए कि वो अपनी पूरी ताकत भारतीय संविधान की रक्षा करने में लगा दे । 


चेतन बैरवा , एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट , मो 85 11 31 63 41 , 27 जून 2025 , फेस बुक

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